इन्दौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के चलते ‘मोती’ और ‘चम्पा’ इन्दौर के चिड़ियाघर में जंजीरों की कैद से आजाद हो सकेंगे और उनके लिये 50 लाख रुपये की लागत से खुला बाड़ा बनाया जायेगा. हाथी के इस गुस्सैल जोड़े को चिड़ियाघर में सात साल से जंजीरों में जकड़ कर रखा जा रहा है.
कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय के प्रभारी उत्तम यादव ने ‘भाषा’ को बताया कि उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित मुख्य पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले महीने आदेश जारी किया कि ‘मोती’ (नर हाथी) और ‘चम्पा’ (मादी हाथी) के रहने के लिये चिड़ियाघर में ही पांच माह की समयावधि में खुला बाड़ा बनाया जाये. इस आदेश के परिपालन में इन्दौर नगर निगम ने बाड़ा बनाने के लिये 50 लाख रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया है.
यादव ने बताया कि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागू होने के कारण इस बाड़े के निर्माण कार्य की निविदा फिलहाल जारी नहीं की जा सकी है. हालांकि, निगम प्रशासन ने जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह यह निविदा जारी करने की विशेष अनुमति प्रदान करें.
चिड़ियाघर प्रभारी ने बताया कि करीब डेढ़ एकड़ जमीन पर प्रस्तावित बाड़े में ‘मोती’ और ‘चम्पा’ के लिये पानी का विशाल कुंड बनाया जायेगा और इसमें खूबसूरत फव्वारे भी लगाये जायेंगे. इस खुले बाड़े में हाथी का यह जोड़ा स्वच्छंद विचरण कर सकेगा. बाड़े के बाहर से दर्शक इस जोड़े को देख भी सकेंगे.
यादव ने बताया कि ‘मोती’ और ‘चम्पा’ को उनके बेहद गुस्सैल स्वभाव के कारण कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में पिछले सात साल से जंजीरों में बांधकर रखा जा रहा है, ताकि चिड़ियाघर में आने वाले दर्शक उनके ‘कोप’ से सुरक्षित रह सकें. उन्होंने बताया कि इस चिड़ियाघर में करीब 25 साल से रह रहे ‘मोती’ को जब बगैर जंजीरों के रखा जाता है, वह लोगों पर हमला कर देता है. यह नर हाथी अपने महावत पर हमला कर उसे भी गंभीर रूप से घायल कर चुका है.
यादव ने बताया कि हाथी के जोड़े को चिड़ियाघर में जंजीरों में बांध कर रखे जाने के खिलाफ एक पशु कल्याण संगठन ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
उन्होंने बताया कि अदालत में याचिका पर सुनवाई के दौरान विशेषज्ञों ने सलाह दी थी कि ‘मोती’ और ‘चम्पा’ को उनके उग्र स्वभाव के कारण चिड़ियाघर में खुला नहीं छोड़ा जा सकता. विशेषज्ञों के मुताबिक दोनों को जंगल में भी नहीं छोड़ा जा सकता, क्योंकि वे वन्य क्षेत्र में रहने के अभ्यस्त नहीं हैं.