भोपाल। अपेक्स बैंक के चेयरमैन विधायक भंवरसिंह शेखावत पर इस्तीफा देने का दबाव बन रहा है। लोकायुक्त विशेष पुलिस ने हाल ही में राज्य शासन को लिखे एक पत्र में पूछा है कि शेखावत के खिलाफ चालान पेश करने के आठ माह बाद भी उन्हें पद से क्यों नहीं हटाया गया, जबकि इसी मामले में आरोपी अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर दिया गया था।
लोकायुक्त के इस पत्र के बाद सहकारिता विभाग एक सप्ताह के भीतर शेखावत को सहकारी अधिनियम की धारा 53 (बी) के तहत नोटिस जारी किया जा सकता है। इसके बाद उन्हें पद से हटा कर छह वर्ष के लिए सहकारी संस्थाओं का चुनाव लडऩे से अयोग्य घोषित किया जा सकता है। सहकारिता विभाग ने इस संबंध में विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव को अवगत करा दिया है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा संगठन ने भार्गव को राय दी है कि शेखावत को पद से हटाना राजनीतिक रूप से उचित नहीं होगा। बेहतर है उन्हें इस्तीफे के लिए राजी कर लिया जाए। वे बदनावर से विधायक निर्वाचित हो गए हैं, ऐसी स्थिति में अपेक्स बैंक चेयरमेन से इस्तीफा देने में उन्हें कोई राजनीतिक नुकसान नहीं होगा। उधर, शेखावत इस्तीफा देने को राजी नहीं है।
शेखावत का कहना है कि लोकायुक्त द्वारा पेश चालान को उन्होंने न्यायालय में चुनौती दी है। शेखावत ने कहा कि उनके खिलाफ पेश चालान में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। सहकारिता मंत्री भार्गव ने कहा कि इस मामले में शेखावत को स्वयं निर्णय लेना चाहिए।
ईएएस अफसर थेटे की पत्नी के मामले में आरोपी हैं शेखावत
लोकायुक्त विशेष पुलिस ने आईएएस अधिकारी रमेश थेटे की पत्नी मंदा थेटे को लोन में छूट देने के मामले में शेखावत सहित अपेक्स बैंक अधिकारियों के खिलाफ पिछले साल जून में चालान पेश किया था। इस मामले में जिन अन्य व्यक्तियों के खिलाफ चालान पेश किया गया था उनमें बैंक के तत्कालीन एमडी आरबी वट्टी, पूर्व एमडी एएस सेंगर, विधि सलाहकार शांतिलाल लोढ़ा और ओपी पाटीदार व पूर्व डीजीएम केशव देशपांडे शामिल हैं। देशपांडे सेवा से बर्खास्त हैं, जबकि वट्टी और सेंगर को निलंबित कर दिया गया था और दोनों विधि सलाहकारों से इस्तीफे ले लिए गए थे।