भोपाल। भूटान की महारानी और श्रीलंका सरकार के मंत्री की उपस्थिति में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन की शुरूआत आज होगी. गौरतलब है इस सम्मलेन में श्रीलंका, भूटान और सिंगापुर के राजदूत भी इस सम्मलेन में भाग लेंगे.
श्रीलंका सरकार के अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग मंत्री डा. सारथ अमुनुगमा आज से ही सम्मलेन में उपस्थित रहेंगे. इस सम्मलेन में मध्यप्रदेश के मंत्री गौरीशंकर शेजवार और सुरेन्द्र पटवा भी होंगे. साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान विश्वविद्यालय के प्रभारी अधिकारी राजेश गुप्ता के अनुसार भूटान की महारानी अपराह्न 3 बजे भोपाल हवाई अड्डे पहुंचेगी. श्रीलंका के उच्चायुक्त भी इसी विमान से भोपाल आयेंगे. विभिन्न देशों के प्रतिनिधि कल साँची बौद्ध स्तूप और महाबोधि मंदिर का भ्रमण करेंगे, इस दौरान वे अनौपचारिक विमर्श भी करेंगे.
सम्मलेन का औपचारिक उदघाटन 1 मार्च को मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रद्योगिकी परिषद् में होगा. उदघाटन कार्यक्रम में भूटान की महारानी अशी सोनम देचन वांगचुक, मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संस्कृति मंत्री उपस्थित रहेंगे.
1 मार्च को भूटान की महारानी करेंगी उदघाटन
28 फरवरी, 2014 को भोपाल में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन की शुरुआत होगी. यह सम्मेलन 2 मार्च तक चलेगा. उल्लेखनीय है कि प्रथम अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मलेन वर्ष 2012 में सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ रिलिजन एंड सोसाइटी (सीएसआरएस) और इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था. इस सम्मलेन में संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन और महाबोधि सोसाइटी, श्रीलंका का सहयोग भी मिला था. सम्मलेन में 20 देशों के 400 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. इस साल का सम्मलेन साँची यूनिवर्सिटी ऑफ बुद्धिस्ट – इंडिक स्टडीज (Sanchi University Of Buddhist-Indic Studies) और सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ रिलिजन एंड सोसाइटी (सीएसआरएस) के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है.
इस अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मलेन का केन्द्रीय विषय “प्रकृति, स्रोत और धर्मं-धम्म परम्परा की प्रासंगिकता” होगा. बौद्ध और वैदिक परम्पराओं के आंतरिक और अंतर्संबंधों को समझना इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य है. धर्म कोई कर्मकाण्ड या आध्यात्मिक प्रक्रिया नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति के लोकाचार का मूलतत्व है. बुद्ध का प्रादुर्भाव विश्व सभ्यता और संस्कृति के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावकारी घटना है. वैदिक और बौद्ध परम्परा में अनेक समानताएं हैं. यह सम्मलेन इन्हीं तत्वों की पहचान करने, समझने और नई वैश्विक परिस्थिति में देखने का प्रयास है.
मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री रामनरेश यादव उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करेंगे. इस सत्र में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भूटान की महारानी आशी सोनम देचन वांगचुक और साँची यूनिवर्सिटी ऑफ बुद्धिस्ट – इंडिक स्टडीज के कुलाधिपति साम्दोंग रिन्पोचे वक्ता होंगे. स्वागत भाषण प्रो. सिद्धेश्वर भट्ट का होगा. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर शशिप्रभा कुमार साँची यूनिवर्सिटी ऑफ बुद्धिस्ट – इंडिक स्टडीज के पाठ्यक्रमों की घोषणा करेंगी. सम्मलेन में तीन दिनों तक विभिन्न सत्रों में प्रख्यात विद्वानों द्वारा शोध-पत्र पढ़े जायेंगे. अनेक विद्वानों का वक्तव्य होगा और प्रतिभागियों द्वारा इस पर चर्चा की जायेगी.
मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्द्योगिकी परिषद् में आयोजित इस सम्मलेन में अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से भी चिन्तक, अध्यापक और शोधार्थी भी भागीदारी करेंगे. प्रमुख सहभागियों में केन्द्रीय तिब्बती विश्वविद्यालय सारनाथ के कुलपति गेशे नगवाने सम्तेन, महाबोधि सोसाइटी श्रीलंका के अध्यक्ष बंगला उपतिस्सा नायका थेरो, इंटरनेशनल सोसायटी फॉर साइंस एंड रिलिजन की अनिंदिता बालस्लेव, सेंट फ्रांसिस जेवियर यूनीवर्सिटी कनाडा की प्रोफ़ेसर विलियम स्वीट, कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर दिलीप कुमार मोहंता, जवाहरलाल विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर कपिल कपूर, इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ इन्डियन कल्चर के डा. लोकेश चन्द्र, अमेरिकन इन्स्टीट्यूट ऑफ वैदिक स्टडीज के डेविड फ्रौले आदि महत्वपूर्ण हैं.