भोपाल। खुद को संस्कान और शुचिता का ठेकेदार बताने वाली भाजपा के तमाम संस्कार धीरे धीरे सामने आ रहे हैं। मात्र 10 साल की सत्ता में भाजपा का बच्चा बच्चा भ्रष्टाचार में लिप्त दिखाई देने लगा है। इस सूची में नया नाम है डॉ. अजय शंकर मेहता।
भाजपा के वरिष्ठ नेता, संघ के अनुशासित स्वयं सेवक डॉ. अजय शंकर मेहता अपने आप में प्रतिष्ठित और विश्वस्नीय नेता रहे हैं इसलिए तो उन्हें जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष का पद दिया गया और राज्यमंत्री का दर्जा भी परंतु इन्हीं डॉ. अजय शंकर मेहता की प्रिंटिंग प्रेस पर संस्कृत बोर्ड की फर्जी मार्कशीट छपतीं थीं। इस मामले का खुलासा एसटीएफ ने किया है। प्रेस के मैनेजर को अरेस्ट कर लिया गया है और उसने अपना अपराध भी कबूल कर लिया है।
उसने उन स्कूलों के नाम बताए हैं जिनके लिए फर्जी मार्कशीट छापीं जातीं थीं और संस्कृत बोर्ड से 10वीं व 12वीं में छात्रों को पास बताया जाता था।
अब यह मामला मैनेजर, स्कूल, छात्र/छात्राओं के इर्द गिर्द घुमाने का प्रयास किया जा रहा है जबकि इस मामले के मूल में हैं डॉ. अजय शंकर मेहता। मैनेजर रामलाल हो या श्यामलाल, कितने स्कूलों के लिए काम किया, कितने छात्रों की फर्जी मार्कशीट छापी गईं यह सब जांच की सेकेंड स्टेज होगी, फिलहाल यह प्रमाणित हो गया है कि डॉ. अजय शंकर मेहता की प्रेस में यह सबकुछ हुआ।
मामले की मांग है कि डॉ. अजय शंकर मेहता को अरेस्ट किया जाए और फिर उनसे कड़ी पूछताछ हो। अकेले मैनेजर या चपरासी को अरेस्ट करने से कुछ नहीं होगा। इस मामले ने भाजपा की शुचिता और संस्कारों की ठेकेदारी पर एक और दाग लगा दिया है। मध्यप्रदेश में भाजपा की चुनरिया धीरे धीरे दागधब्बों से भरती जा रही है।