भोपाल। पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के ओएसडी ओपी शुक्ला की कहानियां कम नहीं हैं। हालात यह थे कि शुक्ला टैक्स के बिना किसी भी कागज पर मंत्रीजी के हस्ताक्षर ही नहीं हो पाते थे। हो भी जाते थे तो वो कागज कहीं गुम हो जाता था। मंत्रियों के रिश्तेदारों के ट्रांसफर तक में शुक्ला टैक्स की जबरवसूली की गई थी।
सिंरोज के विधायक लक्ष्मीकांत शर्मा के उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री बनते ही शुक्लाजी एक्टिव हो गए थे। वो थे तो मंत्रीजी के ओएसडी लेकिन लक्ष्मीकांत शर्मा को रिपोर्ट नहीं करते थे, बल्कि सुधीर शर्मा को रिपोर्ट करते थे। लक्ष्मीकांत शर्मा से तो समन्वय बना लिया गया था।
सूत्र बताते हैं कि यह उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा के हर उस सोर्स से अवैध कमाई की गई जहां से संभव था, भले ही इससे पहले किसी ने ना की हो। उन दिनों ट्रांसफर उद्योग भी जमकर चला। हर साल कम से कम 400 ट्रांसफर किए गए। कुछ आनडिमांड थे तो कुछ परेशान करने के लिए। बाद में ट्रांसफर कैंसिल करने की वसूली की गई।
बेलगामी तो देखिए कि मध्यप्रदेश सरकार के दूसरे मंत्रियों के रक्त संबंधी रिश्तेदारों तक के ट्रांसफर बिना शुक्ला टैक्स के नहीं हो पाते थे। खुद लक्ष्मीकांत शर्मा के आदेशित कर देने के बाद भी लोगों के काम नहीं होते थे। अंतत: थक हारकर सबको शुक्ला टैक्स चुकाना ही पड़ता था।
यह एक बड़ा मामला है। पूरा गिरोह ट्रांसफर घोटाले में लिप्त रहा है। मध्यप्रदेश के सभी जिलों में नेटवर्क स्थापित किया गया था। सैंकड़ों करोड़ की रिश्वतखोती हुई है वो भी हवाला के जरिए। भाजपा के ही कई नेताओं के पास इसके रिकार्ड मौजूद हैं। देखना रोचक होगा कि क्या मध्यप्रदेश के ट्रांसफर घोटाले पर कोई संज्ञान लेगा।