20 किलोमीटर दूर नौकरी करने जाता है नेत्रहीन शिक्षक

shailendra gupta
संतनगर। आपकों सुनकर हैरत होगी कि अपनी आंखों से कुछ भी न दिखने के बाद एक शिक्षक पिछले 16 साल से शिक्षा का ज्ञान बांट रहा है। इसे शिक्षा ज्ञान बांटने का जज्बा कहा जाए या आय का स्त्रोत लेकिन यह शिक्षक जब बच्चों को पढ़ाता है तो उनकों जरा सा भी आभास नहीं होता कि उसकी आंखे बिलकुल काम नहीं कर रही है।

लेकिन यह शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही से परेशान है उसकी डुयूटी घर के आसपास न होकर 20 किलोमीटर दूर ग्राम भैसाखेड़ी में लगाई गई है। 12 सौ क्वाटर भोपाल निवासी 41 वर्षीय सोनीलाल अहिरवार विकलांग कोटे से शिक्षिक नियुक्त किया गया है। हैरत की बात तो यह है कि श्री अहिरवार को भैसाखेड़ी स्कूल पहुंचने के लिए दो बार लो फ्लोर की बस बदलना पड़तीं हैं।

सभी विषयों का अच्छ ज्ञान रखते हैं अहिरवार

स्कूली बच्चे भी अपने शिक्षक का हुनर देखकर उनको पांव पढ़कर आशीर्वाद लेते है लेकिन इसके बावजूद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा। पहलें वह कई वर्षो तक ग्रामीण क्षेत्र बैरसिया में पदस्थ था लेकिन अभी अगस्त 13 में उसे बैरागढ़ स्थित ग्राम भैसाखेड़ी में पदस्थ किया गया है। उसने शिक्षा विभाग के डीओं को अपनी डुयूटी उसके निवास स्थान के आसपास लगाने का आग्रह भी किया है लेकिन अभी तक कोई ध्यान नहीं दे रहा है जिसके कारण यह विकलांग शिक्षक काफी परेशान है।
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