राकेश दुबे/प्रतिदिन। अब आप पार्टी अरविन्द केजरीवाल को प्रधानमंत्री बनाना चाहती है | पार्टी की राय कभी केजरीवाल मानते हैं, और कभी किसी और की | दिल्ली में दस कमरों के मकान लेने और मुकरने के पीछे कुछ ऐसी ही कहानी है | कहानी तो अरविन्द केजरीवाल के राजनैतिक उदय के साथ नित नई हो रही है | सबसे पहले मकान की कहानी |
आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल सूत्र के अनुसार “अरविन्द केजरीवाल लुटियंस की दिल्ली में रहने आना ही नहीं चाहते थे, उनके क्षेत्र के मतदाताओं का दबाव था कि वे दिल्ली में रहे और जैसे ही उन्होंने हाँ कहा दिल्ली के वे एक अति उत्साही अधिकारी सक्रिय हो गये,जो अक्सर बड़े लोगों के इर्दगिर्द दिखाई देते है और उन्होंने जो किया उससे अरविन्द केजरीवाल को इंकार करना पड़ा|” कहानी कितनी सही और कितनी गलत इसका पता कुछ दिन में लगेगा |
अभी तो आप पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी इस बात की जद्दोजेहद कर रही है लोकसभा का चुनाव कितनी सीटों पर लड़ा जाये और कौन इस चुनाव नेतृत्व करे | अरविन्द केजरीवाल को आप पार्टी का एक गुट मुख्मंत्री ही रहने देना चाहता है तो दूसरा गुट उन्हें प्रधानमंत्री बनाना चाहता है |
पूरी यात्रा को देखें तो पहले के तेवर बदल गये हैं | और यह इस बात का संकेत है की आप और कांग्रेस के बीच कहीं कोई संधि हुई है | दिल्ली में चर्चा है की शीला दीक्षित को हरवाने में कुछ बड़े कांग्रेस नेता शामिल है | इस खबर का अनुमान यह है की अगर वे जीत जाती तो राहुल गाँधी के प्रधानमंत्री बनने में आड़े आतीं | वैसे अभी यह तो स्पष्ट है की नरेंद्र मोदी और राहुल गाँधी के साथ अरविन्द केजरीवाल की उम्मीदवारी होती है तो नरेंद्र मोदी [भाजपा] के मतों का विभाजन होगा और भाजपा लोकसभा में प्रतिपक्ष होगी | वैसे जो भी हो अभी तो आप का ग्राफ नीचे आ रहा है |केजरीवाल को तेवर बदलना होंगे |