राकेश दुबे@प्रतिदिन। दिल्ली की केजरीवाल सरकार तमाशा बन गई है और इसे इस स्थिति में लाने के लिए सबसे ज्यादा “आआपा” ही जिम्मेदार है | चाहे सोमनाथ शास्त्री का मामला हो, चाहे सरकार के रूप शासन हो या धरना अभी यह सब सुलझा ही नहीं था अब मामला ।एनटी करप्शन ब्यूरो के प्रमुख की नियुक्ति का है |
सोमनाथ शास्त्री दिल्ली महिला आयोग के सामने नहीं गये, अपने वकील को भेज दिया जबकि वकीलों की उपस्थिति का प्रावधान ही नहीं है | उच्चतम न्यायलय ने धरने को लेकर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर दिया है | सरकार तमाशा बन कर रह गई है, जिन कामों को करने का वादा किया था , वे तो ठंडे बस्ते में चले गये है | जो शेष बचे थे उन्हें केंद्र दायें-बाएं कर रहा है |
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीनियर आईपीएस अधिकारी प्रवीर रंजन की दिल्ली एसीबी के प्रमुख के रूप में नियुक्ति का फैसला पलट दिया है। जबकि केजरीवाल ने विशेष तौर पर रंजन को एसीबी का प्रमुख बनाने का आग्रह किया था।
शिंदे ने आज कहा कि प्रवीर रंजन ने खुद केजरीवाल सरकार में काम करने से मना किया। प्रवीर रंजन ने खुद इस बाबत एक चिट्ठी लिखकर काम करने से इनकार किया है। ऐसे में दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो चीफ को लेकर विवाद बढ़ गया है। बता दें कि केजरीवाल आईपीएस अधिकारी रंजन को इस ब्यूरो का चीफ बनाना चाहते हैं। केजरीवाल ने जब दिल्ली पुलिस के चार अधिकारियों को निलंबित करने की मांग को लेकर रेल भवन पर धरना दिया तो गृह मंत्रालय ने इस मामले में अपने हाथ पीछे खींच लिए। सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने अब रंजन को पुड्डुचेरी भेजने का फैसला किया है।
उच्चतम न्यायलय ने नोटिस जारी करते हुए टिप्पणी की है कि “कोई भी सरकार दोहरी भूमिका में कैसे रह सकती है “
