भोपाल। मध्यप्रदेश के मीडियाकर्मियों एवं जनसंपर्क विभाग से जुड़े लोगों के लिए अलार्मिंग न्यूज है कि छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग में टैक्सी घोटाले का खुलासा हुआ है। यहां विभाग ने एक मोटरसाइकल को टैक्सी बताकर लाखों का पेमेंट कर डाला और मोटरसाइकल मालिक को पता तक नहीं चला।
जनसम्पर्क विभाग में स्थानीय व क्षेत्र से बाहर के पत्रकारों को बाहर लाने-ले जाने के लिए जिस मोटर साइकिल (क्रमांक सीजी-04 डीके 2702) को टैक्सी बताकर लाखों का भुगतान होना दर्शाया गया है, वह तेलीबांधा के मौलीपारा में रहने वाले कृषक मदनलाल साहू पुत्र घासीराम साहू की है।
जनसम्पर्क विभाग का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद मदनलाल ने सिविललाइन थाने में एक शिकायत की है। अपनी शिकायत में मदन ने कहा कि विभाग के अधिकारियों ने मोटरसाइकिल को टैक्सी बनाकर लाखों रूपए के भुगतान जैसा जो कृत्य किया है उसकी सूक्ष्मता से जांच और दोषी अधिकारियों पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए।
जनसम्पर्क में नहीं चलती गाड़ी
शिकायत में मदनलाल ने यह साफ कहा है कि "मेरे पास जो मोटरसाइकिल है। उसका इस्तेमाल मैं खेती-बाड़ी के कामकाज के लिए ही करता हूं। मेरी कोई गाड़ी जनसम्पर्क विभाग में नहीं चलती है।" कृषक मदनलाल ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि मोटरसाइकिल को टैक्सी बताकर लाखों रूपए उठा लेने का कारनामा सरकार के एक जिम्मेदार विभाग ने किया है। मदनलाल ने कहा कि विभाग के अधिकारियों ने फर्जीवाड़ा करने के साथ उसकी छवि को धूमिल करने का कृत्य भी किया है।
यह है मामला
कुछ समय पहले जब नियंत्रक महालेखा-परीक्षक की ऑडिट टीम ने जनसम्पर्क विभाग और उसकी सहयोगी संस्था संवाद के बिलों का निरीक्षण किया, तब यह खुलासा हुआ था कि जनसम्पर्क विभाग ने फरवरी 2010 से जनवरी 2013 तक राज्य के पत्रकारों को बाहर ले जाने एवं क्षेत्र के बाहर के मीडिया घरानों को छत्तीसगढ़ लाने के लिए डेढ़ करोड़ रूपए खर्च किए हैं। भारी-भरकम खर्चो का जो ब्योरा ऑडिट टीम को मिला उसकी छानबीन से यह तथ्य भी सामने आया कि मोटर साइकिल क्रमांक सीजी-04 डीके 2702 का इस्तेमाल टैक्सी के तौर पर किया गया था।
अदालत की शरण लूंगा
आज मेरी गाड़ी को टैक्सी बताकर पत्रकारों को लाना-ले जाना बताया गया है, कल कोई मेरी गाड़ी पर माओवादियों को ढोना भी बता सकता है। मुझे पता नहीं है कि जनसम्पर्क विभाग के किस अधिकारी के कहने पर मेरी गाड़ी को टैक्सी बनाकर लाखों रूपए हड़पे गए हैं। अभी मैंने शिकायत की है, लेकिन यदि पुलिस ने शिकायत को रिपोर्ट में तब्दील नहीं किया तो मैं धोखाधड़ी के इस मामले को अदालत तक ले जाऊंगा।
मदनलाल साहू, मौलीपारा (तेलीबांधा), रायपुर