मध्यप्रदेश में 20 हजार वर्गमीटर घुस आया राजस्थान

नंदकिशोर धाकड़/राकेश सोन/ नीमच/सिंगोली। राजस्थान धीरे धीरे मध्यप्रदेश की जमीन पर कब्जा करता जा रहा है। वो 20 हजार वर्गमीटर क्षेत्र में कब्जा कर चुका है और यहां उसने बाकायदा राजस्थान सरकार के बोर्ड भी लगा दिए हैं।

नीमच जिले की सिंगोली तहसील की पंचायत फुसरियां से लगी राजस्थान सीमा की तरफ से एमपी की सीमा में राजस्थान के बोर्ड लगे हैं। सार्वजनिक निर्माण विभाग खंड मांडलगढ़ जिला भीलवाड़ा तथा राजस्थान के बिजौलिया थाना व पुलिस चौकी कांस्या का बोर्ड एमपी की सीमा में लगा दिया। मप्र के लोकनिर्माण विभाग एवं स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक जिस स्थान पर राजस्थान सीमा प्रारंभ के बोर्ड लगे हैं वहां से आधा किमी तक एमपी की सीमा है।

सिंगोली-तिलस्वां अंतरराज्यीय मार्ग पर तिलस्वां घाट चढ़ते ही राजस्थान सीमा प्रारंभ के दो बोर्ड लगे हैं। एक सार्वजनिक निर्माण विभाग का तो दूसरा पुलिस थाना व चौकी का। मतलब यहां से राजस्थान सीमा शुरू जबकि घाट समाप्त होने के 500 मीटर दूर मप्र लोक निर्माण विभाग ने 1982 में पुलिया बनाई थी। पुलिया से 10-15 मीटर आगे राजस्थान की सीमा है। बोर्ड घाट चढ़ते ही लगा रखा है। मप्र की अंतिम ग्राम पंचायत फुसरिया के लालगंज और माता का खेड़ा के ग्रामीणों की माने तो जब यहां बोर्ड नहीं थे तो सीमा आगे तक थी। 

अन्य स्थानों पर पहाड़ी, नाले या खाई से दोनों प्रदेशों की सीमा बंटी है। लेकिन रोड के पास दोनों प्रदेशों की शासकीय जमीन होने से सीमांकन का स्पष्ट संकेतक नहीं है। मप्र में वन विभाग की जमीन है वहीं दूसरी तरफ राजस्थान की जमीन है। दोनों राज्यों के पास सीमा के विभाजन को लेकर स्पष्ट नक्शा नहीं है। पुराने लोगों या ग्रामीणों के बताए आधार पर सीमांकन माना जाता है। इसका फायदा उठाकर राजस्थान ने कुछ साल पहले बोर्ड इधर लाकर गाड़ दिए। 

मामले के खुलासे के बाद मप्र की टीम ने दस्तावेज और नक्शों से भौगोलिक स्थिति जांची। यही मिलान राजस्थान के पुराने नक्शों से किया तो पता चला राजस्थान मप्र में 20 हजार वर्गमीटर तक घुस आया था। कब्जे को राजस्थान के अधिकारियों ने भी अवैध माना और पीछे हटने की सहमति दी। इसके बाद अधिकारियों ने सीमांकन कर पत्थर लगाए।

प्रदेश व राजस्थान को जोडऩे वाले अंतरराज्यीय सिंगोली-तिलस्वां रोड पर घाट समाप्त होते ही राजस्थान सीमा प्रारंभ के दो बोर्ड लगे थे। एक सार्वजनिक निर्माण विभाग का तो दूसरा थाना बिजौलिया का। यानी घाट समाप्त तो प्रदेश की सीमा समाप्त। राजस्थान के इस दावे की पुष्टि प्रदेश के लोक निर्माण विभाग ने भी कर चुका है। घाट समाप्ति पर ही विभाग ने बोर्ड लगा रखे हैं।

प्रदेश के ही राजस्व विभाग का तर्क है घाट समाप्ति के बाद तीन जरीब जमीन मप्र की है जो 225 फीट बैठती है। दोनों विभागों की इस तरह का मतभेद सामने आने के बाद सीमा विवाद और गहरा गया था। सीमा से लगे लालगंज और माता का खेड़ा के ग्रामीणों का दावा है मप्र की सीमा घाट समाप्ति के बाद भी 500 मीटर तक है। 30 साल पहले मप्र ने एक पुलिया भी बनाई थी, वहां तक प्रदेश की जमीन है। दोनों प्रदेश के बंटवारे का स्पष्ट सीमांकन नहीं होने से कई बार हम भी परेशानी में पड़ जाते हैं।

सरकारी विभाग लगा रहे बोर्ड और रहवासी कर रहे अतिक्रमण - राजस्थान के सरकारी विभाग प्रदेश की सीमा में राजस्थान के बोर्ड लगा कर मप्र की सीमा को राजस्थान में लेने का प्रयास कर रहे थे। दूसरी तरफ सीमा से लगे गांवों के रहवासी मप्र की जमीन पर पत्थर डालकर कच्ची दीवारें कर अतिक्रमण करने में लगे थे। कुछ दिन पहले सिंगोली के कुछ राजस्व अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण रुकवाया था।


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