भोपाल। शास्त्री ब्रिज स्थित राजकुमारी बाई बाल निकेतन अनाथ आश्रम में अव्यवस्थाओं व बच्चियों का यौनाचार होने के आरोप मामले की जांच न होने पाने के संबंध में बाल संरक्षण आयोग ने कोर्ट में अपनी सफाई दी, साथ ही अदालत से समय की राहत चाही।
चीफ जस्टिस एएम खानविलकर व जस्टिस केके लाहोटी की युगलपीठ ने जांच कर रिपोर्ट पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी। यह जनहित मामला भोपाल निवासी प्रवेश श्रीवास्तव की ओर से दायर किया गया है। इसमें कहा गया है कि राजकुमारी बाई बाल निकेतन आश्रम में घोर अव्यवस्थाएं हैं।
आश्रम में रहने वाली बच्चियों का यौन शोषण हो रहा है। बीमार बच्चियों के इलाज में लापरवाही बरती जाती है। यही कारण है कि एक बच्ची की आंख खराब हो गई और ऐसी कई बीमारियों से बच्चियां पीड़ित हैं। आरोप है कि आश्रम प्रबंधन ने कई बच्चियों को महाराष्ट्र के जलगांव भेजा, जिसका कोई रिकार्ड आश्रम में मौजूद नहीं है।
इतना ही नहीं जिन्हें जलगांव भेजा गया, उनकी कोई जानकारी नहीं है। आवेदक का कहना है कि बच्चियों को गोद देने की प्रक्रिया पर भी प्रबंधन द्वारा अड़ंगा लगाया जाता है। आवेदक का कहना है कि उसके पास में स्थित मातृछाया आश्रम से 50 बच्चियों को गोद देने की प्रकिया हो चुकी है, लेकिन उक्त आश्रम में ऐसा एक भी मामला नहीं हुआ। आश्रम में सुरक्षा के लिहाज से सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन मेंटेनेंस न होने से बंद पड़े हैं।
आरोप है कि मामले की शिकायत पर आश्रम प्रबंधन द्वारा यहां-वहां के नामों का प्रयोग कर धमकी दी जाती है। राज्य सरकार, बाल विकास विभाग, बाल संरक्षण आयोग, बाल कल्याण समिति, महिला सशक्तिकरण समिति, बाल संरक्षण आयोग की सदस्य रीना गुजराल, संभागायुक्त, एसपी, टीआई गोरखपुर, आश्रम प्रबंधन के सचिव मदनमोहन नेमा व केयरटेकर विद्या पाठक व इंचार्ज रेखा जग्गी को पक्षकार बनाया गया है।
मामले में मंगलवार को डॉ. फ्रांसिस ने युगलपीठ के समक्ष हाजिर होकर कहा कि आयोग के सदस्यों के उपस्थित न होने के कारण जांच नहीं हो सकी है। वह आज ही सदस्यों के साथ जांच के लिए जा रहे हैं। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई तक जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता परितोष गुप्ता ने पक्ष रखा।