रेलवे में जांच खत्म क्यों नहीं होतीं

ग्वालियर। स्टेशन के बुकिंग कार्यालय में एक महिला क्लर्क को नकली टिकट बेचते हुये, टिकट सुपर वाइजर ने पकड़ लिया था, महिला क्लर्क को निलंबन से बाहर कर दूसरी जगह स्थानांतरण कर दिया गया।

ऐस डेढ़ दर्जन से अधिक मामले हैं, जिनमें गड़बडि़यों का खुलासा नहीं हुआ है, डेढ़ दर्जन कमेटियां जांच हेतु बनी हैं, उनकी रिपोर्ट का इंतजार है। बिजलेंस टीम स्टोर निर्माण व आरक्षण कार्यालय में कई बार छापेमारी कर चुकी है, कई कर्मचारी टिकट ब्लैक करते पकड़े गये, उन्हें कार्यवाही के बजाय तत्काल टिकट के वितरण का काम सौंप दिया है।

आगरा झांसी पेंसीजर से 2 लाख रूपये गायव होने की गड़बड़ी का भी खुलासा नहीं हो पाया है, इसी प्रकार झांसी बांदा सेक्शन में पेंसीजर ट्रेन से कैस गायव होने पर भी खुलासा नहीं हुआ है। गड़बडि़यों के लिये जिम्मेदार एक क्लर्क को मात्र डबरा स्टेशन पर स्थानांतरण किया गया है, जो डबरा में फिर से गड़बड़ी कर रहा है।

झांसी मंडल के बरौनी मेल व जीटी एक्सप्रेस की आग की जांच का भी खुलासा अभी तक नहीं हुआ है तथा करारी पर गैंगमेंन की मौत के मामले में भी कमेटी ने रिपोर्ट नहीं दी है, जबकि आम यात्री को स्लीपर में चढ़ जाने पर पूरा रेलवे अमला जुर्माना, जेल हेतु दौड़ पड़ता है, लेकिन इतने बड़े कांड हो जाने के बाद अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।


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