भोजपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी का हारना कोई चौंका देने वाला नहीं रहा। दरअसल, वे भारत की उस राजनीति से अच्छे प्रतिनिधि रहे हैं, जो चुनाव बिना जीते ही संसद तक राज्यसभा के जरिए पहुंचते रहे हैं।
पचौरी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वे कभी चुनाव नहीं जीते। पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े, वो भी हारे। इससे पहले लोकसभा का चुनाव लड़े थे वो भी नहीं जीत पाए थे। भोजपुर से उन्हें 59816 वोट मिले, जबकि भाजपा के प्रत्याशी सुरेंद्र पटवा को 79736 वोट मिल। इन मतों के अंतर से पता लगाया जा सकता है कि क्षेत्र की जनता किस कदर उनसे परेशान हो गई थी।
पचौरी पर टिकट वितरण में धांधली के आरोप भी लगे। इसलिए उनकी हार के पीछे एक कारण यह भी माना जा रहा है कि उनके कारण जितने नेताओं के टिकट कटे, वे सब पचौरी को हराने में जुट गए।
हमारे राजनीति विशेषज्ञ की राकेश दिवान की माने तो पचौरी के हारने के प्रमुख कारण यह भी रहे हैं-
1. क्षेत्र से जुड़ाव कम रहना।
2. कार्यकर्ताओं की टीम का अभाव।
3. क्षेत्र में ध्यान नहीं देना।
दूसरी ओर भाजपा के प्रत्याशी सुरेंद्र पटवा की जीत के कारण कुछ इस प्रकार है।
1. क्षेत्र में लगातार विकास कार्य कराना।
2. विधायक होने का फायदा।
3. क्षेत्र में अच्छी पकड़।