भोपाल। आपके घर रसोई गैस एजेंसी के हॉकर्स जब सिलेंडर देने आएं तो अब आप पूरे अधिकार से उनसे कह सकते हैं कि वह सिलेंडर का वजन तौलकर दिखाए। यदि हॉकर्स ऐसा नहीं करें तो आप इसकी शिकायत नियंत्रक नाप तौल व जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक के दफ्तर में कर सकते हैं।
घरेलू सिलेंडर में गैस की मात्रा 14 किलो 200 ग्राम होना जरूरी है। सरकार ने गैस सिलेंडर तौलकर देने के लिए छ: महीने पहले कानून में संशोधन कर दिया है, लेकिन गैस एजेंसी संचालक इसे लागू करने से बच रहे हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम 2011 (पैकेज में रखी वस्तुएं) में संशोधन कर ये प्रावधान किया है कि सिलेंडर तौलकर लेना उपभोक्ता का अधिकार है।
इस संशोधन की जानकारी पहले ही राज्य सरकार को भेज दी गई है। इसके बावजूद उपभोक्ताओं को सिलेंडर तौलकर नहीं दिए जा रहे हैं। नाप तौल नियंत्रक एसके जैन ने बताया कि कानून में हुए संशोधन के मुताबिक गैस एजेंसी संचालकों व हॉकर्स को 50 किलो क्षमता का, ऐसा तौल यंत्र रखना जरूरी है, जो 10 ग्राम तक सटीक वजन बता सके। यह तौल कांटा इलेक्ट्रॉनिक या मैकेनिकल हो सकता है। सहायक खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक विवेक सक्सेना कहते हैं कि सभी एजेंसी संचालकों को निर्देश दिए गए हैं कि डिलीवरी वाहन में पोर्टेबल वेट मशीन रखना अनिवार्य है। उपभोक्ता यदि हमसे शिकायत करेंगे तो संबंधित एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे समझें वजन का गणित
किसी भी ऑयल कंपनी के भरे हुए गैस सिलेंडर में गैस की मात्रा 14 किलो 200 ग्राम होना चाहिए। खाली सिलेंडर का वजन 15 किलो से साढ़े 16 किलोग्राम तक होता है। सिलेंडर के ऊपरी हिस्से पर यह वजन लिखा होता है। यदि आपको सिलेंडर के वजन पर संदेह है तो आप डिलीवरी ब्वाय से उसे तौलने को कह सकते हैं। खाली सिलेंडर का वजन 16 किलो हुआ तो आपके भरे हुए सिलेंडर का वजन 30 किलो 200 ग्राम होगा। इससे कम वजन हुआ तो आप शिकायत कर सकते हैं।
14 किलो 200 ग्राम
सिलेंडर में गैस का वजन
सुरक्षा मानक : बी-2013 लिखा हो तो लौटा दें सिलेंडर
इस बात का भी ख्याल रखें कि आप जो सिलेंडर ले रहे हैं वह सुरक्षा मानकों पर खरा है या नहीं। सिलेंडर के ऊपरी हिस्से पर सिलेंडर टेस्टिंग का कोड लिखा होता है। इसमें ए, बी, सी, डी के आगे वर्ष की जानकारी लिखी होती है। इसका मतलब है कि इस वक्तसिलेंडर को टेस्टिंग के लिए भेजा जाना है। डिलीवरी ब्वॉय आपको जो सिलेंडर दे रहा है, यदि उस पर ए, बी -2013 लिखा हो तो इसे न लें। इसका मतलब है कि सिलेंडर को 2013 की पहली या दूसरी तिमाही में टेस्टिंग के लिए भेजा जाना जरूरी है। डिलीवरी ब्वॉय ये सिलेंडर लेने के लिए आप पर दबाव बनाए तो आप इसकी शिकायत एजेंसी संचालक व खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक दफ्तर में कर सकते हैं।
नाप तौल अमले ने अब तक कुछ नहीं किया
केंद्र सरकार ने छह महीने पहले नियम में यह प्रावधान किया है। इस दौरान नाप तौल अमले, ऑयल कंपनियों और गैस एजेंसी संचालकों ने उपभोक्ता जागरूकता के लिए कोई प्रयास नहीं किए। नाप तौल अमले को इतनी फुरसत भी नहीं मिली कि वह एजेंसियों पर जाकर या हॉकर्स की जांच करे कि उनके पास ऐसा तौल कांटा है या नहीं।
डिलीवरी के 48 से 72 घंटे बाद बैंक अकाउंट में आती है सब्सिडी
जिन उपभोक्ताओं के बैंक खाते उनके आधार नंबरों से लिंक हो गए हैं, उनके बैंक खातों में सब्सिडी, गैस सिलेंडर की डिलीवरी के 48 से 72 घंटे बाद ही होगी। इसका आपके द्वारा कराई गई ऑनलाइन बुकिंग की रसीद से कोई संबंध नहीं है। यदि कोई हॉकर इस संबंध में कुछ कहे तो आप एजेंसी पर इसकी शिकायत कर सकते हैं। न्यू मार्केट स्थित एजेंसी के संचालक आरके गुप्ता का कहना है कि डिलीवरी के 48 या 72 घंटे बाद सब्सिडी खाते में ट्रांसफर हो जाती है।
यहां कर सकते हैं शिकायत
नाप तौल कार्यालय: 0755- 2551020 और 2551017 सहायक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी: विवेक सक्सेना - 9425318037