भोपाल। संपत्तिकर वसूली में लाखों का नहीं, बल्कि करोड़ों का घोटाला कैसे किया जा रहा है, यह उसकी बानगी है। शो टैक्स चुकाने के लिए राज टॉकीज की ओर से जमा करवाए गए 6 हजार रुपए के चेक के बदले दो दर्जन से ज्यादा उपभोक्ताओं से वसूली गई लाखों की नकद राशि जेब के हवाले कर ली गई।
निगम खाते में 6 हजार के एक चेक के बदले दो दर्जन उपभोक्ताओं से वसूली गई राशि को एकजाई जमा करने का प्रपत्र भरा गया। इसके बाद दो प्रतियों में कार्बन लगाकर रसीद बनाने के बजाय सिर्फ ऊपर की रसीद में सही राशि दर्शाकर उपभोक्ता को दे दी गई, लेकिन निगम रिकार्ड में रहने वाली रसीद पर बाद में कार्बन रखने के बाद चंद रुपए ही अंकित किए गए।
संपत्तिकर एवं अन्य करों की वसूली में नगर निगम के वार्ड कार्यालयों में सालों से जमे वार्ड प्रभारी और रिटायरमेंट तक पुख्ता हो चुके जोन अधिकारी एवं इंजीनियर बेखौफ होकर हर साल करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। वार्ड-41 के पार्षद और जोन-8 के अध्यक्ष अजीजउद्दीन के स्वामित्व की राज टॉकीज है, जिसका 200 रुपए प्रति दिन के हिसाब से महीनेभर का शो टैक्स जमा करने के लिए 6 हजार रुपए का चेक क्रमांक- 002167 यूनियन बैंक का दिनांक 10 जुलाई,13 को काटा गया।
इसकी रसीद वार्ड प्रभारी दीपक भालेराव ने जारी की। हालांकि, इसी चेक के बदले करीब दो दर्जन उपभोक्ताओं से वसूली गई नकद राशि जेब के हवाले करके निगम खाते में एकजाई करते हुए चेक के जरिए जमा दर्शाई गई। इसी का नतीजा है कि, वार्ड-41 में संपत्तिकर
वर्ष 2011-12 में 28 लाख रुपए वसूला गया, जोकि वर्ष 2012-13 में घटकर 18 लाख रह गया और चालू वित्तीय वर्ष2013- 14 में अभी तक सिर्फ 11 लाख रुपए ही वसूली पहुंची है।
लाखों का नहीं करोड़ों का है घोटाला
वार्ड-41 में शुरुआती जांच में बीते चार साल में 28 लाख से ज्यादा का संपत्तिकर वसूलने के बाद हड़पने के तथ्य सामने आए हैं। हालांकि, बडेÞ संपत्तिकर दाता और उनके द्वारा चुकाए जाने वाले कर की राशि के साथ ही नए मकान बनने, नल कनेक्शन और प्रॉपर्टी नामांतरण आदि के बदले में मिलने वाले करों का ईमानदारी से निर्धारण हो जाए तो घोटाला करोड़ों में पहुंचना तय है। सूत्रों की मानें तो संपत्तिकर हड़पने का खेल 90 के दशक से ही चल रहा है, जिसमें चपरासी से लेकर वार्ड प्रभारी, जोन अधिकारी, इंजीनियर और संपत्तिकर शाखा में दशकों से जमे कर्मचारी और अधिकारी तक शामिल हैं। इसी से जनसंख्या बढ़ने और संपत्तियों में जबर्दस्त बढ़ोतरी के बाद भी संपत्तिकर में बढ़ोतरी के बजाय दिन-ब-दिन कमी होती गई।
आनन-फानन में होते थे कनेक्शन
फर्जीवाडे में नीचे से ऊपर तक सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के शामिल होने का इसी से पता चलता है कि, सिर्फ 20 रु. का कनेक्शन फार्म लेने की रसीद कटते ही आनन-फानन में नल कनेक्शन हो जाता है। हालांकि, प्रति कनेक्शन 20 रु. का फार्म लेने के बाद 1300 रु. कनेक्शन चार्ज जमा करना होता है। इसके बाद फाइल बनती है, जिसमें वार्ड पार्षद और जोन अध्यक्ष की अनुशंसा लगती है। इसके बाद जलकार्य विभाग मौके पर जांच करके कनेक्शन दिए जाने के लिए एनअेसी देता है। इसके खिलाफ जोन-8 में सिर्फ 20 रु. की रसीद कटते ही जोन अधिकारी और सहायक यंत्री मय अमले के आनन- फानन में मेन पाइप लाइन काटकर कनेक्शन करवा देते हैं।