शिवपुरी। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान जब 14 दिसंबर 2013 को मुख्यमंत्री पद की तीसरी बार शपथ लेंगे, तब वे उन चुनौतियों को मन ही मन याद कर रहे होंगे, जो सामने आने वाली हैं।
अब जहां उनके सामने सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती यह होगी कि लोकसभा में वे ज्यादा से ज्यादा सीटें भाजपा को जिताकर लाएं वहीं मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश को औद्योगिक व बुनियादी संरचना के विकास के साथ-साथ मानव संसाधन का विकास सबसे बड़ी चुनौती होगी।
लोकसभा में वे छह माह बाद भाजपा को ज्यादा सीटें दिला भी लाएं तब भी वास्तविक चुनौतियां उनके सामने जो खड़ी होंगी, उनका मुकाबला आसान नहीं है।
कारगर प्रशासन (डिलीवरी सिस्टम) व भ्रष्टाचार: शिवराज सिंह चौहान जब मुख्यमंत्री के रूप में काम संभालेंगे तब उनके सामने एक चुनौती वही होगी जिससे वे पिछले दस साल से मुकाबला कर रहे हैं।
अब तक वे ऐसी चुस्त-दुरुस्त प्रशासनिक व्यवस्था नहीं बना पाए हैं, जैसी गुजरात में नरेंद्र मोदी बना पाए हैं। उनकी योजनाओ का लाभ तभी तक लोगों तक पहुंच पाएगा, जब वे एक कारगर प्रशासनिक व्यवस्था बना लेंगे।
जब तक डिलीवरी सिस्टम को भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं बनाया जाएगा, योजनाओं और व्यय के वास्तविक नतीजे या लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकेंगे।
अपराध व कानून व व्यवस्था: राज्य में 2008 से 2013 के बीच 15 हजार से ज्यादा बलात्कार हुए हैं। हत्याओं और अन्य अपराधों के आंकड़ों में इजाफा हुआ है।
शिवराज सिंह चौहान को एक ऐसा सक्षम पुलिस प्रशासन बनाना होगा, जो राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त हो। उनकी पिछली सरकारों में तो भाजपा के कार्यकर्ताओं ने पुलिस थानों पर हमले किए हैं।
औद्योगिक विकास व निवेश: पिछले वर्षों में निवेशकों के कई सम्मेलन आयोजित करने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश में औद्योगिक निवेश बढ़ाने में ज्यादा सफलता नहीं मिली है।
अब उन्हें लघु व मझौले उद्योगों की श्रृंखला खड़ी करनी होगी। मध्य प्रदेश में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों के विस्तार के बगैर ज्यादा संख्या में रोजगार पैदा करना संभव नहीं होगा।
कुपोषण व शिशु मृत्युदर: मध्य प्रदेश ने राष्ट्रीय विकास दर से भी ज्यादा बेहतर विकास दर प्रदर्शित की। करीब 11 फीसदी की विकास दर होने के बाद भी मध्य प्रदेश में पांच साल तक के बच्चों की शिशुमृत्यु दर देश में सबसे ज्यादा थी।
जननी सुरक्षा और लाड़ली लक्ष्मी योजनाओं के बावजूद यहां माताओं की मौते हुईं। लड़कियों को अनुपात कम हुआ। मानव सूचकांकों में सुधार करना शिवराज सिंह की सबसे बड़ी चुनौती है।
गुणवत्ता: मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा हो या निजी इंजीनियरिंग कॉलेज हों, बिजली हो या सड़कें हों, उद्योग हों या सेवाएं सब जगह गुणवत्ता चिंता का विषय है। अब हर चीज की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है। गुणात्मक बदलाव लाए बिना वास्तविक नतीजे हासिल नहीं किए जा सकेंगे और न ही सामाजिक बदलाव लाए जा सकेंगे।