राकेश दुबे@प्रतिदिन। गणित समझ में नहीं आ रहा है| मुख्यमंत्री शिवराजसिंह से प्रदेश के गरीबों की गरीबी को महसूस कर एक रुपया किलो चावल देने की घोषणा कर रहे है, महंगाई में पिसते मध्यम वर्ग के लिए आयोग गठित करने का ख्वाब दिख रहे हैं |
इसके विपरीत किसी को यह क्यों नहीं दिख रहा है की सबसे लाभ के धन्धे राजनीति में करोडपति बिना किसी निवेश और श्रम के बन रहे हैं | यह समृद्धि यूँ ही नहीं आई है इसके पीछे किसी न किसी का शोषण और कहीं न कहीं बेईमानी है |
सरकार का काम इस और भी तो देखना है,शायद तीसरी बार मुख्यमंत्री बने शिवराजसिंह इस और भी कुछ करेंगे | उम्मीद है, पर पिछले कार्यकाल की छाया बहुत उजली नहीं है | कई घोटाले प्रदेश के भाल पर कलंक की तरह चिपके हुए हैं | वर्तमान में प्रदेश के गरीबों का नेतृत्व करोडपतियों ने हडप लिया है भाजपा और कांग्रेस दोनों के विधायकों के शपथपत्र चौकानेवाले है |
इन शपथपत्रों में वर्णित पूंजी और पुराने विधायकों की समृद्धि की जाँच करने का साहस किसी में नहीं है | एक बार इसकी शुरुआत हो तो शायद देश में कुछ नया दिखे | अभी तो गरीबों करोडपति नेता गरीबों का मजाक उड़ाते दिख रहे है |