ग्वालियर। क्या शिक्षा संस्थान के संचालक जो सरकार से मोटा वेतन और समाज से सबसे बड़े आदर की अपेक्षा करते हैं, हाईकोर्ट की आखों में भी धूल झोंकने का काम कर सकते हैं। जीवाजी यूनिवर्सिटी का यह मामला पढ़िए, पता चल जाएगा कितने धूर्त हो गए हैं शिक्षा संस्थानों के संचालक।
जीवाजी विश्व विद्यालय ने न्यायालय की अवमानना से बचने के लिये विधि के छात्र विनीत सक्सेना को रिव्यु आवेदन पर घोषित परीक्षा परिणाम में 3 अंक बढ़ा दिये। उत्तर पुस्तिका के मुख्य पृष्ठ पर अंकों के बदलाव का कहीं कोई उल्लेख नहीं था छात्र ने आरटीआई के तहत भी काॅपी की प्रति मांगी थी, जेयू ने काॅपी की प्रति देने से इंकार किया, छात्र ने कोर्ट में याचिका दायर की कोर्ट ने सात दिन में काॅपी की प्रति देने को कहा आदेश का पालन न होनेे पर छात्र अवमानना याचिका दायर की जिस पर छात्र को उत्तर पुस्तिका की फोटो काॅपी तो दे दी गई लेकिन मूल्यांकनकर्ता की लापरवाही छिपाने के फेर में अंकों पर स्लिप चिपका दी।