भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कई इलाकों ने खासा निराश किया है। राज्य के 51 जिलों में से 17 जिले ऐसे हैं जहां कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला है। वहीं 16 जिलों में एक-एक स्थान पर जीत दर्ज कर संतोष करना पड़ा है।
राज्य में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीसरी जीत दर्ज कर एक इतिहास रचा है, वहीं कांग्रेस की हालत पिछले चुनाव से भी बदतर हो गई है। साल 2008 में कांग्रेस ने 230 विधानसभा क्षेत्रों में से 71 में जीत दर्ज की थी, मगर इस बार वह उस आंकड़े के करीब भी नहीं पहुंच पाई है।
कांग्रेस की हालत का आकलन करें तो पता चलता है कि राज्य के एक तिहाई हिस्से में तो उसका सफाया हो गया है। 51 में से 17 जिले मुरैना, दतिया, उमरिया नरसिंहपुर, बैतूल, होशंगाबाद, रायसेन, शाजापुर, देवास, खांडवा, बुरहानपुर, झाबुआ, अलिराजपुर, उज्जैन, नीमच, आगर, रतलाम ऐसे हैं जहां कांग्रेस को एक भी सीट हासिल नहीं हुई है। एक तरफ जहां कांग्रेस का 17 जिलों में खाता नहीं खुला है, वहीं 16 जिले ऐसे हैं जहां उसे एक-एक प्रत्याशी के जीतने पर संतोष करना पड़ा है।
सागर, छतरपुर, दमोह, पन्ना, सिंगरौली, शहडोल, कटनी, डिंडौरी, मंडला, सीहोर, हरदा,राजगढ़, इंदौर, मंदसौर, भोपाल, श्योपुर में कांग्रेस का एक-एक उम्मीदवार ही जीत पाया है। इसके आलावा कांग्रेस के लिए 13 जिले ऐसे रहे है, जहां उसके दो-दो उम्मीदवार जीते हैं। जबकि चार जिलों में तीन-तीन उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कराई है। सिर्फ एक जिला ऐसा रहा जहां कांग्रेस के चार उम्मीदवार जीते हैं।
कांग्रेस को इस चुनाव में जिन इलाकों में निराशा हाथ लगी है उनमें जनजातीय वर्ग के वह जिले भी हैं जो कभी उसका मजबूत गढ़ हुआ करता था। जनजाति बहुल उमरिया, झाबुआ, अलिराजपुर, रतलाम, सिंगरौली, शहडोल, डिंडौरी, मंडला में कांग्रेस के जनाधार को करारा झटका लगा है। इन इलाकों में बीजेपी ने अपनी न केवल जगह बनाई है, बल्कि कांग्रेस को अपने से काफी पीछे छोड़ दिया है।
राज्य में कांग्रेस की हुई करारी हार से प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश से लेकर राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह तक आश्चर्यचकित हैं। उनका कहना है कि उन तक जो भी फीडबैक आ रहे थे वे कहीं से भी इस तरह के नतीजे नहीं बता रहे थे। ऐसा कैसे हुआ समीक्षा की जाएगी। वहीं दूसरी ओर बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य को सुशासन देने के साथ पिछड़े राज्य को विकसित राज्यों की श्रेणी में ला दिया है। यह उनके कार्यो की जीत है।
कांग्रेस को मिली करारी हार ने पार्टी के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर उसकी यह हालत क्यों हुई। सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी ने अच्छा काम किया है और रणनीति से चुनाव लड़ा या कांग्रेस ने चुनाव को तैयारी से लड़ा ही नहीं है।