भोपाल। मप्र उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में प्रदेश में एमएड का कोर्स संचालित कर रहे 86 में से 85 कॉलेजों को अवैध बताया गया है। याचिका में यहां तक आरोप है कि एनसीटीई ने मान्यता को लेकर नियम तो बना दिए, लेकिन वह खुद उन नियमों का पालन नहीं कर रही है।
चीफ जस्टिस एएम खान विलकर और जस्टिस अजीत सिंह की युगलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए याचिका में अनावेदक केंद्र व राज्य सरकार समेत कुल 12 पक्षकारों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।
जानकारी के अनुसार यह याचिका भोपाल निवासी आरके खरे की ओर से दायर की गई है। आवेदक का कहना है कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन, एनसीटीई ने वर्ष 2009 में एक नियम बनाया था। उसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि जो भी कॉलेज एमएड का कोर्स संचालित कर रहे हैं, उनके पास नैक का बी ग्रेड का दर्जा होना चाहिए। जिन कॉलेजों को 1 अप्रैल 2012 से पहले दर्जा प्राप्त हो चुका है, उन्हें तो कोर्स संचालित करने की अनुमति मिलेगी। इतना ही नहीं,एनसीटीई ने यह भी स्पष्ट किया था कि उक्त तिथि के पास जिन भी कॉलेजों के पास यह दर्जा नहीं होगा,उनके एममएड कोर्स संचालित करने की अनुमित न देकर उनकी मान्यता समाप्त कर दी जाएगी।
आवेदक के अनुसार प्रदेश में कुल 86 में कॉलेज एमएड का कोर्स संचालित कर रहे हैं और उनमें से सिर्फ खंडवा के एक कॉलेज को छोड़कर अन्य किसी के भी पास नैक का बी ग्रेड का दर्जा नहीं है। याचिका में आरोप है कि एनसीटीई ने नियम तो बना दिया, लेकिन अब वह खुद कार्रवाई नहीं कर रही,जो अवैधानिक है। इन आधारों पर हाईकोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस मुद्दे पर अनावेदकों को उचित निर्देश जारी किए जाएं।