प्रिय दोस्तों, मै शिव ललन कुशवहा, आप सब को बताना चाहता हूँ कि मध्य प्रदेश में बीएड छात्रों के साथ छात्रवृत्ति वितरण में बड़ी नाइंसाफी की जा रही है.
आप सब यह अच्छी तरह से जानते हैं कि जब हम बीएड कालेजों में प्रवेश लेते हैं तो सभी छात्रों से ट्यूशन फीस तथा प्रवेश फीस मिलाकर कुल 25000 पच्चीस हजार रुपये लिए जाते हैं, फिर चाहे कोई आरक्षित वर्ग से हो या अनारक्षित वर्ग से, लेकिन इसी पाठ्यक्रम के लिए कुछ छात्रों को 26000 छब्बीस हजार रुपये कि छात्रवृत्ति दी जाती है तो कुछ को छह से सात हजार रुपये।
शासन-प्रशासन द्वारा ऐसा क्यों किया जाता है ? क्या एक ही प्रदेश में छात्रवृत्ति वितरण के लिए अलग-अलग नियम हैं या फिर विभागीय अधिकारी-कर्मचारी अपने मन से छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता करते हैं ?
दोस्तों मई आपको यह भी बताना चाहता हूँ, कि मेरे पास इस बात के पूरे कागजात हैं जिनके आधार पर यह साबित हो जाता है कि मध्य प्रदेश में बीएड छात्रवृत्ति वितरण में भरी अनियमितता हो रही, आप लोग यह सोचो कि जब दो छात्र एक ही वर्ष, एक ही पाठ्यक्रम और एक ही वर्ग से है तो फिर उनकी छात्रवृत्ति में इतना फर्क कैसे।
दोस्तों मैंने शिक्षण सत्र 2011-12 झाबुआ जिले के पद्मा कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन से बीएड किया था, जिसके लिए उस समय पर वंहा के सभी छात्रों को मात्र 5600 कि छात्रवृत्ति दी गई थी, जबकि उसी शिक्षण सत्र में सतना, रीवा सहित अन्य कई कॉलेजों में बाइस से पच्चीस हजार रुपये कि छात्रवृत्ति दी गई थी, लेकिन जब वंहा के छात्रों ने इसके विरुद्ध आवाज नहीं उठाई तो इस साल अन्य कई जिलों में भी छात्रवृत्ति कि राशि को घटाकर पाँच से सात हजार रुपये कर दी गई ? क्या ये अन्याय नहीं है ? यदि है तो हमें इसके खिलाफ जंग भी लड़ना जरूरी है।
मैं यह चाहता हूँ कि उपरोक्त समस्या से पीड़ित सभी भाई-बहन एकत्र हो, इसके विरूद्ध उच्च न्यायालय में जाना चाहिए।
यदि आप इस बात से सहमत हैं तो फिर तैयार हो जाइये .
शिव ललन कुशवाहा
अमरपाटन , जिला - सतना , मध्य प्रदेश
मो - 9 8 9 3 6 0 8 2 7 3
ईमेल -shivlalankushwaha122@gmailcom
