भोपाल। इस साल के दशहरे पर भी चुआ ग्रहण (चुनाव आयोग का ग्रहण) लग गया है। नेताजी रावण दहन नहीं कर पाएंगे। वो बस भीड़ में आम दर्शक की तरह खड़े हो सकते हैं।
आदर्श चुनाव आचार संहिता के प्रभावी रहने तक नेताओं को दुर्गाजी की झांकियों व दशहरा आयोजन के मंच पर न तो जगह मिलेगी, न ही उनका फूलमाला से स्वागत किया जा सकेगा। इन कार्यक्रमों में नेताजी सामान्य व्यक्ति की हैसियत से ही जा सकेंगे। यदि उन्होंने माला पहनी या माइक हाथ में लिया तो इसे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।
विभिन्न दुर्गा उत्सव व दशहरा आयोजन समितियों से भी ये कहा गया है कि कार्यक्रम के दौरान यदि उन्होंने धोखे से भी नेता का नाम लिया तो इसे आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की श्रेणी में रखा जाएगा। चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि त्योहारों की आड़ में आचार संहिता का उल्लंघन न हो, इस पर विशेष नजर रखी जाए।
कलेक्टर निशांत वरवड़े ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नवरात्र में गरबा, दुर्गा पूजन, दशहरा और ईदुज्जुहा के बहाने कोई भी उम्मीदवार चुनाव प्रचार नहीं कर सकेगा। सातों विधानसभा क्षेत्र में 100 से ज्यादा वीडियोग्राफर की टीम क्षेत्र में तैनात है। नेताओं को भी इसकी जानकारी दे दी गई है। नेताओं को ये भी बताया गया कि वे किसी भी धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रम में साधारण व्यक्ति की तरह ही शामिल हो सकते हैं। वरवड़े ने बताया कि कोई भी आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत इलेक्शन कंट्रोल रूम में भी कर सकता है। 24 घंटे के भीतर उस पर कार्रवाई होगी।
नेता नहीं जाएंगे तो कैसे होगा रावण दहन
राजनीतिक दलों को आचार संहिता की जानकारी देने के लिए बुलाई गई बैठक में कलेक्टर निशांत वरवड़े ने जब नेताओं से कहा कि आपको जनता के बीच ही रावण का दहन देखना होगा। यदि मंच से किसी ने आपका नाम भी ले लिया तो ये आचार संहिता का उल्लंघन होगा।
इसपर नेता नाराज हो गए। नेताओं ने पूछा कि जब नेता ही नहीं जाएंगे तो रावण दहन कैसे होगा? इस पर कलेक्टर ने साफ कर दिया कि चुनाव आयोग के ऐसे ही निर्देश हैं। कांग्रेस ग्रामीण के जिला अध्यक्ष अवनीश भार्गव के पूछने पर कलेक्टर ने बताया कि निजी गाड़ियों में पार्टी के झंडे लगाने के लिए भी आपको अनुमति लेनी पड़ेगी।