कांग्रेस ने की कमल की खेती पर प्रतिबंध की मांग, भाजपा ने कहा क्या मजाक है

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सांसद प्रभात झा ने निर्वाचन आयोग को बधाई देते हुए कहा कि उसने कांग्रेस की मनोवैज्ञानिक विकृति और सांस्कृतिक निरक्षरता को समझते हुए जिस तरह कांग्रेस के आग्रह को ठुकराया है, उससे अनर्गल अरोप लगाने की कांगे्रस की दुष्प्रवृत्ति पर लगाम लगने की आशा की जा सकती है।

उन्होनें कांग्रेस के आरोप ‘‘प्रदेश के सरोवरों में खिलते कमल की खेती को आच्छादित किया जाये’’ को कांग्रेस का पराजयबोध बताया है। उन्होनें कहा कि कांगे्रस ने दीवार पर लिखी स्पष्ट इबारत को पढ़ लिया है, कि मध्यप्रदेष में तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार का गठन होना तय है। कांग्रेस आसन्न पराजय से भयाक्रांत होकर अपना मानसिक संतुलन खो चुकी है और कुछ भी उल-जुलूल आरोप लगाकर अपनी कुंठा निकाल रही है। कांग्रेस को विचार करना चाहिए कि कमल तो लक्ष्मी का आसन है।

प्रभात झा ने कहा कि कमल की खेती को ढ़कने के बाद क्या आयोग घर-घर में पहुंचकर कमलासन पर प्रतिष्ठित देवी-देवताओं को रोक पायेंगे। कांगे्रस जनभावना के प्रति संवेदना खो चुकी है। प्रष्न यह उठता है कि यदि भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह कमल है और कांगे्रस को कमल पर आपत्ति है तो कांगे्रस का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा है जो हर वक्त आदमी के क्रियाषील होने पर नजर आता है। क्या कांगे्रस इस बारें में भी कोई अपषगुन कराने की बात सुनना कबूल करेगी ?

उन्होनें कहा कि कांग्रेस हारी हुई लड़ाई लड़ने का साहस खो चुकी है। चुनाव परिणाम आने के पहले ही कांगे्रस ने विधवा विलाप करना शुरू कर दिया है। खिलते कमल की खेती को ढ़कने की बात कहकर कांग्रेस ने वास्तव में देश की जनता की सांस्कृतिक प्रतिबद्धता को आहत किया है और जन-जन के राजनैतिक बोध को ललकारा है, जिसका सबक कांगे्रस को विधानसभा चुनाव में ही मिल जायेगा।

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