वेतन निर्धारण में उलझ रहे अध्यापक व उनके डीडीओ

1 अप्रैल 2013 के बाद संविलियन होने वाले अध्यापकों के वेतन निर्धारण को लेकर कुछ डीडीओ द्वारा अध्यापकों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। उनके डीडीओ द्वारा विसंगतिपूर्ण वेतन निर्धारण किया जा रहा है।

शिक्षक संवर्ग के समान वेतन व सुविधाओं के लिए संघर्षरत अध्यापकों को अब अपने ही संवर्ग का वेतन व सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है ।

किस प्रकार होना चाहिए वेतन निर्धारण

21फरवरी 2013 को जारी सरकारी आदेश में पुराने वेतनमान की जगह अध्यापक संवर्ग को 1अप्रैल 2013 से नवीन वेतनबैण्ड दिया गया है ।वेतनबैण्ड में मूलवेतन नियमन तालिका भी दी गई है ।जिसके अनुसार वर्तमान मूलवेतन (अब पुराने वेतन) पर 1.62 का गुणा कर अगले दस रुपए में पूर्णाँकित कर नवीन मूल वेतन प्राप्त होना है ।इस आधार पर वरिष्ठ अध्यापक का न्यूनतम मूलवेतन (5000का1.62) 8100 रुपए होता है जिस पर 1900 रुपए का ग्रेड पे जुड़कर 10000 रुपए होता है ।इस कुल वेतन पर नियमानुसार मँहगाई भत्ता देय है ।किन्तु कुछ DDO आदेशों का गहन अध्ययन न कर मनमाने तरीके से वेतन निर्धारण करते हुए अध्यापकों को भटकने के लिए विवश कर रहे हैं या मार्गदर्शन के नाम पर वेतन निर्धारण में विलम्ब कर रहे हैं। वेतन निर्धारण की यह समस्या आजकल अध्यापकों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।

क्यों हो रही है विसंगति ?

मध्यप्रदेश शासन , पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 21 फरवरी 2013 को जारी आदेश में अध्यापकों को पुराने वेतनमान की जगह 4500-25000 का पे बैण्ड दिया गया है ।इस पे बैण्ड में मूल वेतन नियमन की जो तालिका दी गई है , उसका लाभ 1अप्रैल के बाद संविलियन  होने वाले अध्यापकों को कुछ डीडीओ द्वारा नहीं दिया जा रहा है ।बल्कि सीधे 4500में ग्रेड पे जोड़कर मँहगाई भत्ता दिया जा रहा है । इससे 1अप्रैल को या उसके पहले नियुक्त अध्यापक और 1 अप्रैल के बाद नियुक्त अध्यापकों के वेतन में 6000 से 7000 रुपए तक का अन्तर आता है ।

कई जिलों के डीडीओ तालिका से कर चुके वेतन निर्धारण

कई जिलों के डीडीओ द्वारा 1अप्रैल के बाद वालों को भी 21फर2013 के आदेश में संलग्न तालिका के अनुसार पुराने न्यूनतम पर 1.62 का गुणा कर वेतन निर्धारित किया जा चुका है ।जो कि शासन के मंशानुरूप ही है ।परन्तु कुछ डीडीओ ऐसा नहीं कर रहे हैं ।

तालिका के अनुसार वेतन नियमन के हैं आधार

नवीन संशोधित वेतनमान पे बैण्ड 1 अप्रैल 2013 के बाद लागू किया गया है ।इसके बाद मध्यप्रदेश शासन द्वारा 1 अगस्त 2013 की स्थिति में शिक्षक संवर्ग एवं अध्यापक संवर्ग के वेतन के अन्तर को 4 वर्षों में चार किश्तों में समायोजित करने का निर्णय लिया गया ।जिसका आदेश  पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी किया गया है । इस आदेश में अन्तरिम राहत की राशि (अन्तर राशि ) 1 अप्रैल के पूर्व और 1 अप्रैल के बाद संविलियन होने वाले अध्यापकों के लिए समान रूप से  (प्रारंभिक से 2 वर्ष तक)   निकाली गई है । ये तभी संभव है जब 1अप्रैल के पहले और बाद वालों का वेतन समान हो ।और चूँकि अन्तरिम राहत का आदेश भी उसी विभाग द्वारा जारी किया गया है , अतएव 1.62 के गुणांक से तालिका अनुसार वेतन निर्धारण सभी के लिए स्वत: प्रमाणित है । यदि इससे हटकर वेतन निर्धारण 4500+ग्रेडपे+DA अनुसार किया जाएगा तो उस अध्यापक का वेतन मार्च में प्राप्त हो चुके वेतन से भी कम प्राप्त होगा जो स्वयं में वेतन विसंगति है ।

विसंगति का नमूना(उदा.)
1. 31मार्च की स्थिति में वरिष्ठ अध्यापक का वेतन

मूल वेतन = 5000
डीए 175%=8750
कुल = 13750

2. 1अप्रैल 2013 की स्थिति में वेतन
वेतनबैण्ड 4500-25000+ग्रेडपे में
मूलवेतन
5000का 1.62=8100
ग्रेड पे
1900
कुल मूल वेतन =10000
DA 72% =7200
कुल वेतन =17200

3.  2अप्रैल2013 की स्थिति में (विसंगतिपूर्ण निर्धारण )
वेतनबैण्ड
4500-25000+1900

मूल वेतन 4500 ,
ग्रेड पे      1900 ,
कुल मूल   6400 ,
DA 72% 4608 ,
कुल वेतन=11008

उपरोक्त तीनों गणनाओं से स्पष्ट है कि  अन्तिम गणना के अनुसार  वेतन निर्धारण से प्राप्त वेतन न केवल 1 अप्रैल की स्थिति में प्राप्त वेतन से कम है बल्कि पुराने वेतनमान में प्राप्त वेतन से भी कम है ।

अन्तरिम राहत राशि के निर्धारण में भी संशय की स्थिति

3अक्टूबर को जारी आदेश अनुसार कार्यरत अध्यापकों के सेवा  अवधि की गणना तिथि 1 अगस्त को कुछ डीडीओ यह मानकर चल रहे हैं कि 1 अगस्त के बाद संविलियन होने वाले अध्यापकों को अन्तरिम राहत की राशि देय नहीं है । जबकि इस आदेश के बिन्दु क्रमांक 3 में पात्रता प्रारंभिक से दो वर्ष है जिनको राहत की न्यूनतम राशि ( वरि. अध्यापक को 1350) देय है ।प्रारंभिक का तात्पर्य ही है 1अप्रैल 2007 के बाद कभी भी नियुक्त ।किन्तु इसमें भी भ्रम की स्थिति के कारण अलग-अलग DDO अलग तरह से वेतन निर्धारण कर रहे हैं ।

भोपालसमाचार.कॉम व अन्य माध्यमों से यह बात मध्यप्रदेश के संबंधित अधिकारियों (पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग , नगरीय प्रशासन , लोक शिक्षण संचालनालय ) तक पहुँचाकर निवेदन है कि उपरोक्त विसंगतियों को दूर करने बावत एक सामान्य स्पष्टीकरण निर्देश जारी किए जाएं।

पत्र लेखक की ओर से आग्रह:—
(कृपया प्रेषक की गोपनीयता हर स्थिति में बनी रहे। नाम व ईमेल प्रकाशित न करें। साभार)

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