डबरा। एक माह में करीब दस करोड़ का काला पत्थर उगलने वाली खदानें चार दिन से दिल्ली से आये, प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों की चैकिंग के चलते छः दर्जन खदानें बंद कर क्रेशर मालिकों ने क्रेशर बंद कर दिये हैं।
क्रेशरों से निकलने वाली धूल को चैक करने के लिये रफादपुर, ऊदलपाड़ा, लदेरा, चिरपुरा, बिलौआ स्थित जनमित्र केन्दों पर प्रदूषण चैक करने की मशीनें लगाकर डस्ट पकड़ने के लिये कार्यवाही शुरू करदी है, बोर्ड के निर्देश पर पुलिस सुरक्षा में सैकड़ों डम्फर और ट्रक पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर नेशनल हाइवे पर खड़े कर दिये हैं, बोर्ड के आने की सूचना मिलते ही क्रेशर बंद हो गये।
चालाक मालिकों ने प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों को गुमराह करने के लिये अपने क्रेशरों को कई दिन से बंद बता दिया है। बोर्ड के अधिकारी ग्रामीणों से डस्ट के बारे में पूछताछ कर रहे हैं, उक्त गांवों की 50 हजार आबादी की जान को डस्ट से खतरा है, टी.वी., श्वास, दमा, केंसर आदि बीमारियों से ग्रामीण पीडि़त होकर तिल-तिल कर मर रहे हैं, वहीं खदान माफिया के डम्फरों से बिलौआ तिराहे से स्टील प्लांट फैक्ट्री के लिये डाली गई करोड़ों रूपयों की प्रधानमंत्री सड़क भी देखरेख के अभाव में जर्जर हो गई है, इसकी जिम्मेदारी ठेकेदार लेगा या नहीं यह अभी स्पष्ट हो पाया। कुल मिलाकर प्रदूषण से ग्रामीण परेशान हैं।