धार्मिक आयोजनों में नोट न्यौछावर कर सकते हैं नेता, आयोग की अनुमति

भोपाल। चलिए कैलाश विजयवर्गीय के मामले में चुनाव आयोग की एक अनुमति तो मिल गई। अब मध्यप्रदेश के बाकी नेता भी धार्मिक आयोजनों में नोट न्यौछावर कर सकते हैं, चुनाव आयोग ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना है।

महू में सारथी नामक संस्था द्वारा निकाली गई चुनरी यात्रा में ढोल वालों को नोट न्यौछावर करने के मामले में उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को राहत मिल गई है। कलेक्टर आकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट में विजयवर्गीय को क्लीनचिट देते हुए आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी नहीं पाया गया है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने रिपोर्ट को चुनाव आयोग भेज दिया है।

उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की महू में ढोल वालों को सौ-सौ के नोट बांटते मीडिया में दिखाया गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने इंदौर कलेक्टर से पूछताछ की थी, लेकिन शुरआत में तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की, पर बाद में कार्यालय के निर्देश पर मंगलवार को रिपोर्ट सौंप दी।

सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, जिससे आचार संहिता का उल्लंघन हुआ हो। एक संस्था का धार्मिक आयोजन था, जिसमें ढोल वालों को पैसे दिए गए। वैसे भी न्यौछावर करने की परंपरा रही है। कलेक्टर की रिपोर्ट को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने चुनाव आयोग को भेज दिया है। बताया जा रहा है के कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट से मामले का पटाक्षेप हो गया है।

सुषमा स्वराज को भी क्लीनचिट

बताया जा रहा है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के इंदौर में महिला कार्यकर्ताओं से जु़डे एक कार्यक्रम को लेकर भी आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत हुई थी। कलेक्टर ने इस मामले की प़़डताल के बाद रिपोर्ट भेज दी है। इसमें बताया गया है के मंच धार्मिक नहीं था। सुषमा स्वराज ने सरकार की नीतियों का बखान किया था। इसमें भी आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ। दरअसल, शिकायत हुई थी कि धार्मिक चित्रों में त्रिशूल आदि का इस्तेमाल कार्यक्रम में हुआ था।

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