मेडीकल कॉलेज संचालकों ने कहा: फीस बढ़ा दो, सरकार जिसे चाहेगी एडमिशन दे देंगे

भोपाल। प्राइवेट मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एडमिशन के लिए होने वाला डेंटल एंड मेडिकल एडमिशन टेस्ट (डीमेट) अगले साल से बंद हो सकता है। इसके लिए निजी मेडिकल कॉलेज संचालकों ने कोशिशें शुरू कर दी है।

वे जल्द ही प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को मेडिकल की फीस बढ़ाकर डीमेट बंद करने का प्रस्ताव देंगे। यह प्रस्ताव चिकित्सा शिक्षा विभाग और एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डेंटल एंड मेडिकल कॉलेज (एपीडीएमसी) के अधिकारियों ने मिलकर बनाया है।

एपीडीएमसी अधिकारियों ने बताया कि पिछले चार साल से डीमेट खत्म करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। हर साल कोर्ट दोनों पक्षों को सुनने के बाद आधी-आधी सीटों पर एडमिशन के लिए पीएमटी और डीमेट कराने का अंतरिम आदेश देता है। इसके बाद भी चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी निजी मेडिकल कॉलेज संचालकों पर एमबीबीएस की सीटें बेचने का आरोप लगाते हैं। इस विवाद को खत्म करने के लिए ही कॉलेज संचालकों ने फीस बढ़ाकर डीमेट बंद करने का प्रस्ताव बनाया है। इस पर कॉलेज संचालकों में सैद्धांतिक सहमति बन गई है।

गौरतलब है कि डीमेट बंद करने की कोशिशें पिछले साल से शुरू हुई थी। इसके लिए एपीडीएमसी और चिकित्सा शिक्षा विभाग के बीच तीन बैठकें भी हो चुकी है। इनमें ही कॉलेजों की फीस बढ़ाकर एडमिशन की जिम्मेदारी राज्य सरकार को देने का प्रस्ताव बनाया गया था।

निजी मेडिकल कॉलेजों में सीट
निजी मेडिकल कॉलेज       06
कुल सीट         900
स्टेट (पीएमटी) कोटा       378
डीमेट कोटा       384
एनआरआई कोटा 138

(जानकारी व्यापमं पीएमटी के प्रोस्पेक्टस के मुताबिक)

फीस कमेटी ने की थी सिफारिश

राज्य सरकार ने वर्ष 2008 में प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति की सिफारिश में डीमेट बंद की थी। कमेटी ने यह सिफारिश डीमेट में गड़बड़ी होने की मिली शिकायतों के आधार पर की थी। साथ ही कहा था कि प्रवेश परीक्षा उस एजेंसी के कराई जाए, जिस पर स्टूडेंट्स और उनके परिजनों को भरोसा हो।

दबाव बढ़ने के कारण ही निजी कॉलेज संचालक बैकफुट पर

मेडिकल में एडमिशन के नाम पर ठगी के आरोप में एलएन मेडिकल कॉलेज के सचिव एलएन चौकसे की गिरफ्तारी के बाद निजी मेडिकल कॉलेज संचालकों पर दबाव बढ़ गया है। इससे पहले भी पुलिस पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के नाम पर ठगी के मामले में कोमल पांडे को कॉलेज कैंपस से गिरफ्तार कर चुकी है। कोमल पांडे ने भी पुलिस को दिए बयान में निजी मेडिकल कॉलेज संचालकों से सांठ-गांठ कर डीमेट के मार्फत एडमिशन कराने की बात कही थी। तभी से कॉलेज संचालक राज्य सरकार से मनमाफिक फीस तय करवाकर डीमेट बंद करने की कोशिश कर रहे हैं।

सभी कॉलेजों की समान फीस नहीं

एडमिशन एंड फीस रेगुलेटरी कमेटी के ओएसडी डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस एक समान नहीं की जा सकती। अभी कॉलेज संस्थान की फीस आय-व्यय रिकॉर्ड के आधार पर तय होती है। इसके लिए प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में समान कोर्स-समान फीस की व्यवस्था लागू करने और प्रवेश का विनियमन एवं शुल्क निर्धारण में संशोधन करना पड़ेगा।

नीयत साफ है तो वर्तमान फीस पर ही बंद करें डीमेट

प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस पहले से ही ज्यादा है। कॉलेज संचालकों की मांग पर डीमेट बंद करना गलत है। कॉलेज संचालकों की जब नीयत साफ है तो वे अभी जो फीस स्ट्रक्चर लागू है, उसी फीस पर डीमेट बंद करें।
डॉ. एनआर भंडारी
रिटायर्ड संचालक, चिकित्सा शिक्षा विभाग, मप्र

सशर्त कराएंगे पीएमटी से एडमिशन

राज्य सरकार निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस साढ़े आठ लाख रुपए सालाना कर दे। इसी शर्त पर हम अपने कॉलेज सभी सीटों पर पीएमटी से एडमिशन करने को तैयार हैं। अभी राज्य सरकार ने कॉलेजों की जो फीस तय की है, वह काफी कम है।
-डॉ. अजय गोयनका,
डायरेक्टर, चिरायु मेडिकल कॉलेज, भोपाल



राज्य सरकार निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस 8 से साढ़े आठ लाख रुपए के बीच तय कर दे। इसके बाद कॉलेज की सभी सीटों पर एडमिशन पीएमटी से करे। इस शर्त पर सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालकों में डीमेट बंद करने की सहमति बनी है।

-सुरेश सिंह भदौरिया, चेयरमैन, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, इंदौर

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