भोपाल। रतनगढ़ हादसे में चुनाव आयोग ने किसी भी पार्टी को राजनीति करने का मौका नहीं दिया। बावजूद इसके वो राजनीति से बाज नहीं आ रहे हैं। मालूम था कि नियम नहीं है फिर भी अजय सिंह ने मृतकों को 2 लाख तो कांतिलाल भूरिया ने 5 लाख मुआवजे की मांग कर डाली। अब भाजपा के नरेन्द्र तोमर कांग्रेस को कोस रहे हैं। सब जानते हैं कि यह अर्थहीन है फिर भी किए जा रहे हैं।
पूरे परिदृष्य में केवल दो ही नेता थे जिन्होंने संवेदनशीलता का परिचय दिया। सबसे पहले शिवराज सिंह उद्वेलित हुए। यदि चुनाव आयोग की बंदिशें ना होतीं तो वो हर संभव सीमा तक जाकर मदद पहुंचाते और दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया जिन्होंने बिना किसी रणनीति के अपने सभी कार्यक्रम रद्द किए और घटना स्थल पर पहुंचकर हर संभव मदद की योजना बनाई परंतु दोनों को चुनाव आयोग ने रोक दिया। आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए कि नियमानुसार राहत दी जाए, ऐसा कुछ ना करें जो इस बात का आभास कराए कि लोकप्रियता के लिए किया गया है।
आयोग ने दोनों के हाथ बांध दिए अत: मदद वही की गई जो नियमानुसार थी। दोनों दलों की मजबूरी थी और इससे ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता था, बावजूद इसके राजनीति की गई। राजनीति की शुरूआत नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह ने की। उन्हें मालूम था कि नियम नहीं है बावजूद इसके उन्होंने 2 लाख रुपए मुआवजे की मांग कर डाली। कांग्रेस के भीतर ही समन्वय नहीं है इसका एक और सबूत उस समय मिला जब कांतिलाल भूरिया ने 5 लाख मुआवजे की मांग कर दी। केन्द्र में मंत्री रहे भूरिया से यह उम्मीद कतई नहीं की जा सकती कि उन्हें नियम की जानकारी नहीं है। ऐसे में इस तरह की मांग करना कोरी राजनीति के अलावा क्या हो सकता है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर तो सवासेर निकले। वो इस घटना के बाद मदद ना करने पर कांग्रेस को ही कोस रहे हैं। आज जारी अपने बयान में तोमर ने कहा कि भाजपा ने तो जो हो सका मदद की परंतु कांग्रेस ने दवाएं क्यों नही बांटीं। वो कांग्रेस को छाती पीटपीटकर कोस रहे हैं।
अब कोई पूछे उनसे कि जो भी मदद पहुंची है वो मध्यप्रदेश शासन की ओर से गई है, भाजपा ने क्या मदद की। उन्हें समझा दिया जाना चाहिए कि मध्यप्रदेश शासन का अस्तित्व भाजपा से प्रथक है। चुनाव आयोग के निर्देशों के चलते इस घटना के बावजूद ना तो कांग्रेस मदद कर सकती थी और ना ही भाजपा। बजाए शोक प्रकट करने के कि आचार संहिता के कारण हम कुछ नहीं कर पाए, तोमर कांग्रेस को कोसने में लगे हुए हैं।
सारे नेता सबकुछ जानते हैं। सबको मालूम है आयोग डंडा लेकर खड़ा है, फिर भी एक दूसरे पर कीचड़ उछालकर हादसे को मजाक बनाने पर तुले हुए हैं। दुखी नहीं है लेकिन आंसू बहाने का ढोंग भी नहीं कर रहे हैं। 200 निर्दोष ग्रामीणों की लाशों पर खड़े होकर संवेदनाओं की फुटबॉल खेलने में लगे हुए हैं।