भोपाल। मुद्रा के दर्शन करने के लिए रीयल एस्टेट सेक्टर ग्राहक देवता के समक्ष दंडवत मुद्रा में है। नवरात्र से शुरू होकर दीपावली तक के इस एक महीने में उसे कमाई की उम्मीद है, सो ऑफर देने में बिल्डर्स और कॉलोनाइजर कोई कमी नहीं छोड़ रहे।
दरअसल, बाजार जिस तरह वक्र गति से चल रहा है, उसने बिल्डर्स के हाथ-पांव फुला रखे हैं। राहत की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। सो दीपावली तक के एक महीने की अवधि में सभी ने ऑफर देना शुरू कर दिया है। प्रचार और विज्ञापन युद्ध चरम पर पहुंच रहा है। मार्केटिंग टीमें दौड़ लगा रही हैं और ग्राहक देवता को मनाने की कोशिश कर रही हैं।
बैंक लोन में दुश्वारियां
जबसे रुपये की शामत आई, बैंकों ने ऋण योजनाओं को कसौटी पर कसना शुरू कर दिया। इसका असर ये हुआ कि बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स आसानी से ऋण पोषित नहीं हो रहे। रीयल एस्टेट में झोल लंबे समय से बना हुआ है। मुद्रास्फीति के कारण अप्रैल से बैंकों ने दिल खोलकर प्रोजेक्ट को फाइनेंस करना बंद कर रखा है। ब्याज अलग से बढ़ गया।
दो दर्जन प्रोजेक्ट विलंबित
बैंक लोन के अभाव में भोपाल में करीब दो दर्जन नए प्रोजेक्ट्स शुरू नहीं हो पा रहे। प्रोजेक्ट की पत्रावली लेकर निर्माता बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं। कुछ निजी फाइनेंस की जुगाड़ में भी हैं। खरीददार की चुप्पी भी उन्हें रुला रही है। हालत यह है कि जिले के जो दो-चार नामचीन भवन निर्माता हैं, उनके नए प्रोजेक्ट भी ऋण के अभाव में लटके हुए हैं।
दिक्कतें और भी हैं
ब्याज दर तो बढ़ ही गई है, कंस्ट्रक्शन कॉस्ट भी लगातार बढ़ रही है। मार्केट में इसकी टोपी उसके सिर पहनाने के चलन पर भी ब्रेक लगा हुआ है, जबकि वास्तविक खरीददार का अभाव है। अप्रैल में सोने की मंदी में तमाम रीयल एस्टेट निवेशकों ने अपना पैसा निकालकर सोने में निवेश कर दिया, इससे निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स में फ्लैट या विला के भाव एकदम नीचे आ चुके हैं। बिल्डरों को नए तरीके से मार्केटिंग करनी पड़ रही है।