राकेश दुबे प्रतिदिन। मध्यप्रदेश में 25 नवम्बर को चुनाव होंगे| शिवराजसिंह फिर से मुख्यमंत्री बनने के मंसूबे बांध रहे है और कांग्रेस सब तरफ से जोर लगा रही है की कैसे भी उसकी सरकार बन जाये| ऊंट की करवट जल्दी ही पता लग जाएगी| सब सामने होगा| टिकिट वितरण के बाद नक्शा साफ होगा|
अभी तो प्रदेश के दोनों दलों में उन लोगों के नक्शे बिगड़े हुए हैं, जिनकी टिकिट खटाई में पड़ने की पूरी सम्भावना है | कांग्रेस से ज्यादा भाजपा में ऐसे लोगों की संख्या है, मंत्री के रूप में खुद को सौभाग्यशाली समझनेवाले नेताओं के सितारे भी करवट ले रहे हैं|
कांग्रेस में प्रदेश के नेतृत्व को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है| जैसे ही सम्मिलित प्रयास होता है,कोई न कोई एक नया शगूफा छोड़ देता है, जैसे अब दिग्विजय सिंह ने कह दिया कि मुख्यमंत्री का चुनाव विधायक करेंगे| कांग्रेस कार्यकर्ता विचलित हो जाते हैं, किस के पीछे जाएँ ? सबके अपने नेता हैं ,अलग-अलग|
शिवराजसिंह जन आशीर्वाद यात्रा और काग्रेस परिवर्तन यात्रा के परिणाम जब आयेंगे तब आयेंगे| अभी तो स्थान-स्थान से शिकायतें और सिफारिशें आ रही हैं| एक तरफ विकास के सरकारी आंकड़े हैं तो दूसरी जमीनी हकीकत| कांग्रेस अपने चश्में से देखती है,लेकिन जनता के चश्मे में भी विकास की तस्वीर बदरंग है| निजी कार्यों और विशेष कर नामान्तरण जैसे छोटे-छोटे कार्यों में हुई लेतलाली और भ्रष्टाचार को मतदाता ने रोष का आधार बनाया है| प्रतिपक्ष को मेहनत और सरकार को ज्यादा मेहनत करना होगी| अभी तक ऊंट खड़ा है और नकेल छोटे दलों के हाथ में है|
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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