भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनावी घमासान जारी है। ऐसे में सबसे ज्यादा चिंतित भारतीय जनता पार्टी है, क्योंकि उनके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का करियर दांव पर लगा हुआ है।
कॉन्फिडेंस तो है, लेकिन कहीं न क हीं भाजपा को यह डर सताता रहता है कि कहीं कर्नाटक की तरह मध्य प्रदेश में भी सारे समीकरण उलटे न पड़ जायें। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके मन में इससे भी कहीं ज्यादा टेंशन घूम रहा है।
और वो हैं बड़े राजनेताओं के बेटे, जो इस साल मैदान में उतरने वाले हैं। खबर है कि इस साल दिग्विजय सिंह और कमलनाथ समेत कई नेताओं के बेटे इस बार मैदान में किस्मत आजमाने आ रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि जो-जो युवा नेता किस्मत आजमाने जा रहे हैं, वो पहले कभी चुनाव नहीं लड़े हैं। इनमें से कई की उम्र तो 30 वर्ष से कम है।
राज्य में चुनाव नवंबर में होने हैं। 1 नवंबर को नामांकन पत्र जारी किये जायेंगें। 8 नवंबर तक नामांकन भरने की अंतिम तिथि होगी और 9 नवंबर को स्क्रूटनी। 11 नवंबर नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है, जबकि 26 नवंबर को मतदान होगा। चुनाव परिणाम 8 दिसंबर को मतगणना के साथ आयेंगे। पिता की विरासत को संभालने वाले नेता मध्य प्रदेश में पहले भी हो चुके हैं। वर्तमान में बात करें तो माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिर्रादित्य सिंधिया और अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह ताज़ा उदाहरण हैं।
जयवर्धन सिंह
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय के 27 वर्षीय बेटे जयवर्धन सिंह मध्य प्रदेश के राघोगढ़ सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। दो साल पहले इन्होंने पॉलिटिक्स ज्वाइन की थी। ये एक पदयात्रा भी कर चुके हैं।
नकुल नाथ
केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के 30 वर्षीय बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा की चौरइया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। पिछले तीन दशक से उनके पिता यहां की संसदीय सीट पर कब्जा है। नकुल पिछले चुनावों में अपने पिता के लिये चुनाव प्रचार करते रहे हैं।
विक्रांत भूरिया
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चीफ कांतिलाल भूरिया के 29 वर्षीय पुत्र विक्रांत भूरिया झाबुआ जिले की थंडला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। विक्रांत पेशे से डॉक्टर हैं और इसी साल राजनीति में आ चुके हैं।
आकाश विजयवर्गिय
मध्य प्रदेश के उद्योग मंत्री कैलश विजयवर्गिया के 29 वर्षीय बेटे आकाश इंदौर की आस-पास की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि कुछ पार्टी सूत्रों के मुताबिक आकाश सीधे लोकसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं।
ये तो हैं प्रदेश स्तर के दिग्गज नेताओं के चिरंजीवों की कथा। यही कहानी पूरे मध्यप्रदेश में दोहराई जा रही है। मंत्री गोपाल भार्गव से लेकर सरपंच गोपाल जाटव तक सभी अपने अपने बेटों को मैदान में उतारने की तैयारियां कर रहे हैं। कुल मिलाकर इस बार चुनाव में नेतापुत्रों का प्रदर्शन और विधानसभा में नवोदित नेताओं की आमद मजेदार रहेगी।