श्रीनटनागर शोध संस्थान में चुपके चुपके हो रहा है गोलमाल

मंदसौर(उमेश नेक्स)। श्रीनटनागर शोध संस्थान सीतामऊ कहने को तो हमारे देश की एक जानीमानी अकादमी है जहाँ उच्च अध्यन का शोध होता है मगर हकीकत में यहाँ जो कुछ होता है वो अब भी शासन-प्रशासन और आम आदमी से छुपा हुआ है।

यहाँ गोलमाल और भ्रष्टाचार के नए नए तरीको का शोध सबकी मिली भगत से होता है और जब भ्रष्टाचार को पकड़ने के लिए कोई आर.टी.आई. कार्यकर्ता सुचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाता है तो उसे गुमा फिरा कर गलत जवाब दिया जाता है या फिर सुचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (घ) के तहत बता कर कह दिया जाता है कि चाही गयी जानकारी उपलब्द नही करवाई जा सकती है...?

ऐसा ही सुचना के अधिकार के तहत एक आवेदन आर.टी.आई. कार्यकर्ता होने के नाते मेने यानि उमेश नेक्स ने दिनांक 26-9-13 को लगाया और उसमे लाखोँ की लागत से बनने वाली संस्था की नई बिल्डिग के सम्बन्ध में जानकारी चाही गयी जानकारी में बिल्डिग से सम्बधित नोटशिट, विज्ञप्ति, कुल लागत, देखरेख करने वाले इंजीनियर और ठेकेदार का नाम आदी की जानकारी चाही गयी थी किन्तु संस्थान में हो रहे घपले और भ्रष्टाचार को दबाने की नियत से सुचना के अधिकार का मखोल उड़ाते हुए माँगी गयी जानकारी के विपरीत बातें कहते हुए संस्थान के कथित चर्चित निर्देशक डॉ.मनहोरसिंह राणावत ने यह कहते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया की संस्थान एक अकादमी उच्च अध्यन का शोध केंद्र है यहाँ पर कई भाषाओं के हजारो हस्तलिखित ग्रन्थ उपलब्द है और लाखोँ अभिलेख जो संस्थान में संग्रहित है और ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है इस लिए यह संस्थान अधिनियम की धारा 8 (घ) के तहत छुट के अंतर्गत आती है अत जानकारी नही दी जा सकती है...? 

जब की अधिनियम की धारा 8 (घ) में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसी सुचना जिसमें वाणिज्य, व्यापर गोपनीयता या बोद्धिक सम्प्रदा सम्मिलित है जिसके प्रकट होने से किसी व्यक्ति की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होता है उसे देने से पूर्व यह स्पष्ट हो की इसके प्रकटन से विस्त्रत लोक हित का समर्थन होता है वह जानकारी दी जा सकती है यह धारा व्यक्ति विशेष से सम्बधित है इसमें कही भी किसी भी संस्थान के बारे में नही कहा गया है बावजूद इस धारा को संस्थागत धारा के अधीन बता कर सुचना के अधिकार का न सिर्फ मखोल उड़ाया जा रहा है बल्कि संस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी छुपाया जा कर संस्थान और शासन के करोड़ों रुपयों की खुली लुट संस्था के लोगो द्वारा की जा रही है.

कलेक्टर श्रीशशांक मिश्र कों संस्थान में हो रही गडबडियों की निष्पक्ष जांच करवाना चाहिए साथ ही आम आदमी के अधिकार सुचना के अधिकार का भी मखोल उड़ने से ऐसे लोगो को न सिर्फ रोका जावे बल्कि उन पर ठोस कार्यवाही की जावे ताकि अधिनियम का लाभ आम आदमी को मिल सके और भ्रष्टाचार रोकने में सुचना का अधिकार अधिनियम शासन का सहायक हो सके,


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