उपदेश अवस्थी/भोपाल। कल तक संविदा शिक्षकों के लिए अपने प्राणों की आहुति देने की बात करने वाले संयुक्त अध्यापक मोर्चा के प्रांताध्यक्ष का असली चेहरा अंतत: सामने आ ही गया। वो कर्मचारी हितों के लिए संघर्ष करने के बजाए सत्तासुख भोगना चाहते हैं और भाजपा से टिकिट मांग रहे हैं।
हालांकि मुरलीधर पाटीदार को कांग्रेसी मानसिकता का कर्मचारी नेता माना जाता रहा है एवं कांग्रेस नेताओं से उनके संपर्क भी मजबूत कहे जाते हैं परंतु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को भेजे आवेदन में मुरलीधर पाटीदार ने खुद को हिन्दूवादी बताया है। अपनी जीत का गणित समझाते हुए लिखा है कि नवगठित आगर जिले की सुसनेर विधानसभा सीट पर उनकी जाति के 40 हजार वोट हैं। साथ ही धमकाने का प्रयास किया है कि वो इस विधानसभा के 70 हजार वोटों को प्रभावित कर सकते हैं।
कुल मिलाकर प्यार से या दबाव से, वो सुसनेर विधानसभा से भाजपा के टिकिट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं और उन्होंने अपनी दावेदारी मजबूती के साथ पेश कर दी है।
क्या ये मुलाकात अध्यापक हितों के लिए नहीं, टिकिट की डील के लिए थी |
समझा जा रहा है कि यह टिकिट मध्यप्रदेश में पिछले दिनों हुए संविदा शिक्षकों के तमाम आंदोलनों को बीच बीच में रोकने के एवज में शिवराज सरकार को ब्लेकमेल करके मांगा गया है। यह टिकिट संविदा शिक्षकों व अध्यापकों को मिसगाइड करने का पारिश्रमिक या गुप्त समझौता कहा जा सकता है।
आंदोलनों के दौरान पाटीदार हमेशा दूसरे समतुल्य संगठनों के नेताओं को शिवराज का पिट्ठू कहा करते थे परंतु टिकिट की दावेदारी के साथ ही यह प्रमाणित हो गया है कि इस एक व्यक्तिगत लाभ के लिए उन्होंने अध्यापकों का पूरा आंदोलन बेच दिया था।
अब देखना यह है कि क्या शिवराज सरकार अध्यापकों के इस गद्दार को टिकिट देती है या नहीं और यदि देती है तो क्या मध्यप्रदेश के अध्यापक अपने इस गद्दार को टिकिट देने वाली भाजपा का समर्थन उसी तरह करेंगे जैसे कि उन्होंने 2003 और 2008 में किया था।