राकेश दुबे@प्रतिदिन। फारुख अब्दुल्ला और शरद पवार केबिनेट में और मुलायम सिंह केबिनेट के बाहर कुछ भी कहते रहे हो , परन्तु अध्यादेश वापिस होना था और होगा| राहुल बाबा ने जिस दम के साथ बात कही थी,उसे निभाया | फारुख अब्दुल्ला भले ही राहुल बाबा के सलाहकारों को कोसे ,लेकिन यह प्रमाणित हो गया है की राहुल बाबा देश की नब्ज़ समझने लगे है |
इस अध्यादेश की वापिसी,देश के सर्वोच्च न्यायालय की सर्वोच्चता और जनभावना की समझ को प्रतिपादित करेगी| साथ ही उन लोगों को भी सबक देगी “जो अपराध कर राजनीतिक आवरण में छिपते हैं या राजनीति के आवरण में लिपटकर अपराध करते हैं|”
देश की बदहाली का हर मुद्दा राजनीति से आकर जुड़ता है| वार्ड के पार्षद से लेकर संसद के दोनों सदनों तक में ऐसे कुख्यात तत्व सेंधमारी कर चुके हैं | जिनके लिए अपशब्दों का पूरा कोश कम पड़ जाये | नमूने के तौर पर एक को कल सज़ा हुई है और एक को कल होनेवाली है | फारुख अब्दुल्ला सही कह रहे है कि राहुल बाबा के सलाहकार गलत है, थोडा संशोधन वे कर ले कि राहुल बाबा के सलाहकार पहले गलत थे, अब सही है और जो गलत रास्ता दिखा रहे थे उनके सही होने का पूरा बन्दोबस्त है|
राहुल बाबा को इस कामयाबी पर फूल नहीं जाना चाहिए | जनता बहुत कष्ट में है | महंगाई के लिए भी राहुल बाबा को कुछ सोचना चाहिए | प्रधानमंत्री फिर विदेश जाएँ, इसका इंतजार ठीक नहीं, जो कुछ करना कराना है जल्दी कीजिये| ये सलाहकार तो फिर किसी की इज्जत के साथ राहुल बाबा की बात को जोड़ देंगे | आज यह भी साबित हो गया है की कुर्सी का मोह इतनी जल्दी नहीं छूटता , केबिनेट में किसी भी नम्बर की कुर्सी हो | बाहर रहकर तो “नेताजी” की तरह विरोध का कोई मतलब नहीं है, जग जाहिर है नेताजी का विरोध उनके खास लोगों से खास प्रेम के कारण है|
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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