भोपाल। विभिन्न नर्सिग होम और निजी अस्पतालों में एक ही बीमारी के इलाज के लिए एक समान फीस स्ट्रक्चर लागू करने वाला केंद्रीय क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट मप्र में लागू करने के लिए राज्य सरकार के पास अटका हुआ है।
स्वास्थ्य संचालनालय के अधिकारियों ने इसका ड्राफ्ट मंत्रालय भेज दिया है। इसमें अस्पतालों की ग्रेडिंग कर उन्हें चार श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव है। नर्सिग होम एसोसिएशन सहित डॉक्टरों की अन्य संस्थाओं ने अधिकारियों से मिलकर इसका विरोध दर्ज कराया है।
स्वास्थ्य संचालनालय के अधिकारियों ने बताया कि एक्ट में सामान्य ऑपरेशन से लेकर जटिल ऑपरेशन तक की फीस अस्पताल की सुविधाओं के आधार पर तय करने का प्रावधान किया गया है। इसका नर्सिग होम एसोसिएशन सहित कई अन्य संगठन विरोध कर रहे हैं।
अधिकारियों के मुताबिक संगठनों के प्रतिनिधियों का तर्क है कि अस्पतालों को मरीज को दी जाने वाली सुविधाओं के आधार पर नहीं बांटा जा सकता। मेडिकल कॉलेज से पीजी करके निकले डॉक्टर और 10 साल से नर्सिग होम में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर की फीस समान करना गलत है। समान इलाज, समान फीस व्यवस्था से उन डॉक्टरों को फायदा होगा, जिनकी प्रैक्टिस अभी बिल्कुल नहीं है। इसके अलावा नए डॉक्टरों के पास अनुभव की कमी के कारण इलाज में लापरवाही की शिकायतें भी बढ़ेंगी। मप्र नर्सिग होम एसोसिएशन के एडवाइजर डॉ. अनूप हजेला ने बताया कि विरोध एक्ट का नहीं है, उसके कुछ प्रावधानों का है।
नए एक्ट की जरूरत ही नहीं - मप्र मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ललित श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में पहले से मप्र नर्सिग होम एक्ट लागू है। इस कारण प्राइवेट नर्सिग होम की मॉनिटरिंग के लिए क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने की जरूरत नहीं है।
बिना ग्रेडिंग इलाज के पैकेज तय करना गलत मध्यप्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय खरे ने बताया कि प्राइवेट नर्सिग होम की ग्रेडिंग किए बिना, वहां दिए जा रहे इलाज के पैकेज तय करना गलत है।
सरकार पहले विशेषज्ञों की टीम से नर्सिग होम का सर्वे कराएं। इसमें वहां मरीजों को दी जा रही सुविधाएं और डॉक्टरों की योग्यता की जानकारी जुटाई जाए। इसके बाद अस्पताल की ग्रेडिंग कर इलाज के पैकेज तय किए जाएं। तभी इसे लागू करना सही होगा।
एक्ट से मरीजों को फायदे
:हॉस्पिटल या नर्सिग होम के नोटिस बोर्ड पर सभी प्रकार की जांचों की फीस का चार्ट देख सकेंगे। :मेडिकल इन्वेस्टीगेशन चार्ज के नाम पर डॉक्टर मनमानी फीस नहीं वसूल सकेंगे।: सभी अस्पतालों की इमरजेंसी में मरीजों को मुफ्त में इलाज मिलने लगेगा। :कोई भी डॉक्टर क्लीनिक में आए मरीज को बिना प्राइमरी ट्रीटमेंट दिए दूसरे अस्पताल रैफर नहीं कर सकेगा। क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट का ड्राफ्ट मंत्रालय को भेज दिया है, जहां उसके सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।