जब उत्तराखंड के सीएम ने नहीं दिया इस्तीफा तो हम क्यों दे: तोमर

भोपाल। रतनगढ़ हादसे पर कांग्रेस द्वारा सीएम से इस्तीफे की मांग पर प्रतिक्रिया दर्ज कराते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने दलील दी है कि देश भर के कई राज्यों में हादसे हुए हैं, उत्तराखंड में भी हुआ। जब वहां के सीएम ने इस्तीफा नहीं दिया तो हमसे क्यों मांग रहे हो।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, सांसद नरेन्द्रसिंह तोमर ने आज जारी एक प्रेसबयान में दतिया के रतनगढ़ में रविवार को भगदड़ में सौ से अधिक श्रद्धालुओं की मृत्यु को त्रासद घटना बताया है। उन्होनें कहा कि इस हृदय विदारक घटना पर जिस तरह से कांगे्रस चुनाव के मददेनजर राजनीति कर रही है वह निंदनीय है। उन्होनें कहा कि घटना के बाद जिस तरह से कांगे्रसी नेताओं द्वारा मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान के इस्तीफे को लेकर बयानबाजी हो रही है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। कांगे्रस के नेता त्रासद घटनाओं पर भी राजनीति करनें में पीछे नही है।

नरेन्द्रसिंह तोमर ने कहा कि इस सत्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि त्रासद घटना से सबक लेकर व्यवस्था में सुधार की गुजांइश है। उन्होनें कहा कि उक्त घटना को लेकर दतिया कलेक्टर, एसपी, एसडीएम और एसडीओपी पर कार्यवाही की गयी है साथ ही तत्काल प्रदेष सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों को डेढ़ लाख रूपये, गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार एवं साधारण रूप से घायलों को 25-25 हजार रू. की आर्थिक सहायता देने के निर्देष दिये एवं घायलों को चिकित्सा सेवाएं, घटनास्थल पर बुनियादी सेवाएं राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गयी। नरेन्द्रसिंह तोमर ने कहा कि कांगे्रस लाषांे की राजनीति करती है। जनता के प्रति उनकी संवेदनाएं शून्य है। उन्होने कहा कि ऐन चुनाव के मददेनजर हादसे के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार मानना एवं उनका इस्तीफा मांगना कांग्रेस की राजनीति का हिस्सा है। भारतीय जनता पार्टी ऐसी घटनाओं और हादसों पर राजनीति नहीं करती।

उन्होनें कहा कि देष में अनेक ऐसी घटनाएं घटित हुई है, उदाहरण के तौर पर एक घटना मध्यप्रदेष में कांगे्रस के शासनकाल में उज्जैन के महाकाल मंदिर में अतिविषिष्ट अतिथि दौरे के कारण घटी थी। इसी प्रकार 27 अगस्त 2003 को नासिक में 400 लोगों की मृत्यु हुई थी। 25 जनवरी 2005 को महाराष्ट्र के नगर सतारा में मधरा देवी मंदिर में 340 लोगों की मृत्यु हुई थी। जोधपुर, राजस्थान के चामुण्डा देवी मंदिर में 30 सितम्बर 2008 को 224 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई थी। इस वर्ष इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर 37 श्रृद्धालुओं की मृत्यु हुई। उक्त दुर्घटनाओं में कांगे्रस के नेताओं ने कभी भी त्यागपत्र नहीं दिये। यहां तक कि उत्तराखंड में देष की सबसे बड़ी त्रासदी हुई, जिसकी राज्य और केन्द्र सरकार ने किसी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं ली।

नरेन्द्रसिंह तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेष में कांगे्रस हर छोटी-बड़ी घटना को लेकर मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान के इस्तीफे की बात करती है, कांगे्रस को ध्यान रखना चाहिए कि मध्यप्रदेष में चुनाव आचार संहिता के चलते समस्त हस्तक्षेप निलंबित है। अतः यह कहा जा सकता है कि इन परिस्थतियों में मध्यप्रदेष देष के 28 राज्यों में से एक राज्य होने के नाते रोजमर्रा के प्रषासनिक देखरेख की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की बनती है। अतः क्यों न इन घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए और रतनगढ़ को भारत का हिस्सा मानते हुए प्रधानमंत्री डाॅ.मनमोहन सिंह को इस हादसे कि जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। उन्होनें कहा कि रतनगढ़ में 2006 की घटना के बाद मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान लगातार प्रतिवर्ष रतनगढ़ में आयोजित होने वाले सभी धार्मिक कार्यक्रमों की वीडियों कांफें्रसिंग के जरिये देखरेख करते आये है। यही कारण है कि इस दौरान प्रषासन चुस्त-दुरूस्त पाया गया।

नरेन्द्रसिंह तोमर ने कहा कि ऐसे और भी उदाहरण दिये जा सकते है जो विष्व भर के अतिउत्तम शासित राज्यों में घटित घटनाओं के बारें में है। देष में लगातार घट रही ऐसी घटनाओं को लेकर केन्द्र सरकार को राजनीति करने के बजाय राष्ट्रीय आपदा नीति बनानी चाहिए। श्री तोमर ने कहा कि जहाँ तक भीड़ की मानिसकता, जनसमुदाय में घबराहट फैलना, यातायात प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था आदि का सवाल है तो इस प्रकार भीड़ के अनियंत्रित हो जाने से कुछ सबक भी मिलते है। इस नये मामले में लाखों लोगों का मंदिर प्रागंण में प्रवेष भली-भाँति व्यवस्थित था। समस्याएँ पुल के ऊपर उत्पन्न हुई। उन्होनें कहा कि भगदड़ के ठीक-ठीक कारणों का न्यायिक जाँच आयोग की जाँच में ही पता चलेगा। श्री तोमर ने कहा कि जहाँ तक महाकाल का मामला है वहाँ 7000 श्रद्धालुओं की भीड़ थी, जबिक रतनगढ़ में लोग लाखों की संख्या में थे। उन्होनें घटना को सभी के लिए आत्मचिंतन का विषय बताया।

नरेन्द्रसिंह तोमर ने कहा कि यह सही नही है कि प्रशासन ने रतनगढ़ में वर्ष 2006 में हुई दुर्घटना के बाद पूर्व सावधानी नहीं बरती। उन्होनें कहा कि रविवार की भगदड़ के स्थल पर पुल वर्ष 2006 की घटना के बाद ही बनाया गया था। उन्होनें कहा कि मंदिर प्रांगण में अलग से सीढि़या बनायी गयी, मंदिर परिसर क्षेत्र में सुलभ काम्प्लेक्स निर्मित किया गया, जेनसेट स्थापित किया गया, जल प्रदाय प्रणाली स्थापित की गयी और बिजली निरोधक उपकरण लगाये गये।

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