राकेश दुबे@प्रतिदिन। आखिर तीसरा मोर्चा बने तो कैसे ? मुलायम सिंह कुछ भी कहे और मायावती कुछ भी राग अलापे, वाम दलों की जुगलबंदी कितना ही साथ दे|
यह अब नहीं हो सकता क्योंकि मुलायम सिंह और मायावती दोनों ही, सी बी आई के पंजे से बचाने वाले कांग्रेस के उपकार को भले ही भूलने की कोशिश करें पर तीसरे मोर्चे के निर्माण के समय कांग्रेस अपने उपकार को गिनाना नहीं भूलेगी और न चाहते ये दोनों कांग्रेस को समर्थन करेंगे| यह सब सी बी आई का प्रताप है|
सच यह है कि इन एजेंसियों की विश्वसनीयता पहले से ही प्रश्नवाचक थी अब उन पर कुछ कहने और कुछ करने का आरोप भी सही साबित होने लगा है| मायावती प्रकरण को ही ले मूल मुद्दा ताज कारीडोर से शुरू हुआ था| वह मुद्दा एक तरफ रख दिया गया और एक ऐसी प्राथमिकी दर्ज़ हुई जिसका न्यायालययिन दृष्टि में महत्व शून्य से अधिक नहीं था| उस दिन ही आज का परिणाम नजर आने लगा था| मुलायम सिंह के मामले में भी ऐसा ही कुछ हुआ|
ऐसे में तीसरे मोर्चे की बात कर मुलायम सिंह सिर्फ जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं| कांग्रेस की मर्ज़ी तो लालू और रशीद मसूद को भी बचाने की थी| अगर प्रणब मुखर्जी आपति नहीं करते तो कांग्रेस अपने मकसद में कामयाब हो जाती| वैसे अभी उसने हथियार नहीं डाले है, संसद में पड़े बिल पर सब एक हो जायेंगे और प्रजातंत्र में इमानदारी फिर सूली पर होगी| तीसरा मोर्चा बना तो कांग्रेस के लिए ढाल का काम करेगा|
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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