भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी संस्थानों के फर्जी संचालन का यह दूसरा मामला है। कुछ दिनों पहले पंजाब में मध्यप्रदेश की एक फर्जी तहसील के कागजात मिले थे, अब यूपी में फर्जी एजूकेशन बोर्ड मिला है। जी हां, पूरा का पूरा बोर्ड।
यह फर्जी एजूकेशन बोर्ड पिछले 10 सालों से यूपी में सक्रिय है। बताया जाता है कि इस बोर्ड का संचालक गंगा दयाल शाक्य है जो पिछले 10 सालों में करोड़पति बन गया। उत्तरप्रदेश के एटा स्थित अपने घर से ही गंगादयाल पूरे देश में नेटवर्क को हेंडल करता था। उसके द्वारा दी गईं फर्जी डिग्रियों के सहारे करीब दो हजार लोग नौकरी भी कर रहे हैं। शातिर को मप्र सरकार शिक्षा भारती पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है।
गंजडुंडवारा में गंगादयाल शाक्य के घर पर अब ताला लगा है, पूरा परिवार भाग चुका है। लोगों को सुबह अखबार पढ़कर यह जानकारी मिली, तो उन्हें हैरत हुई। एक छोटे से कमरे में बैठकर पूरे देश को गुमराह करने वाले इस गिरोह में तीन दर्जन सदस्य हैं।
इसके ठिकाने से पुलिस को भारी संख्या में हाईस्कूल, इंटर, ग्रेजुएशन, पोस्टग्रेजुएशन, बीबीए, बीसीए, बीटेक, एमबीबीएस की विभिन्न कॉलेजों की नकली मार्कशीटें भी एसटीएफ को मिली हैं। फर्जी बोर्ड संचालक इतना शातिर है कि दूसरे के नाम से मानव संसाधन विकास मंत्रालय में आरटीआई डालकर सूचना प्राप्त कर दर्शा दिया कि उसका बोर्ड मंत्रालय से मान्यता प्राप्त है।
क्या है गंगादयाल का मध्यप्रदेश कनेक्शन
यूपी के एक कमरे से मध्यप्रदेश एजूकेशन बोर्ड का संचालन करने वाले गंगादयाल का मध्यप्रदेश कनेक्शन क्या है। चूंकि भाजपा सरकार उसे शिक्षा भारती पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है इसलिए कनेक्शन बहुत मजबूत है यह अनुमान तो लगाया ही जा सकता है, लेकिन सवाल यह उठता है कि कहीं मध्यप्रदेश के शिक्षा माफिया के नेटवर्क का सदस्य ही तो नहीं है गंगादयाल। यह संदेह इसलिए भी है क्योंकि मध्यप्रदेश में एक्टिव शिक्षा माफिया की जड़ें यूपी में भी कमजोर नहीं हैं।
दूसरे पीएमटी घोटाले में फंसे सुधीर शर्मा जिस व्हीएनएस कॉलेज के चेयरमैन हुआ करते थे इन दिनों उनकी कुर्सी पर जो महाशय विराजमान हैं उनका भी यूपी कनेक्शन किसी से छिपा नहीं है। चाहे तो झांसी में जाकर देख लो।
जन जन जागरण