राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत के प्रधानमंत्री इतने बेचारे है कि उनके बोलने का असर तो होता ही नहीं अब उनके लिखे पर भी कोई गौर नहीं करता| इस बेचारगी कि दास्तान जब सर्वोच्च न्यायालय के सामने भारत सरकार के वकील ने बयान की तो भी सर्वोच्च न्यायलय के तेवर नरम नहीं हुए और सरकार को याद दिलाया की संविधान के अनुच्छेद 247 के अंतर्गत केंद विशेष अदालतों का गठन कर सकता है| मामला भ्रष्टाचार के मामलों का तेजी से निपटारे के लिए विशेष अदालतों का गठन का था|
सर्वोच्च न्यायालय ने जानना चाहा था कि दो माह पूर्व उसके द्वारा दिए गये आदेश पर सी बी आई की कितनी विशेष अदालते गठित हुई है | सरकार के पास जवाब में प्रधानमंत्री का मजबूर जवाब था कि “प्रधानमंत्री ने ७१ विशेष अदालतों के गठन के लिए राज्य सरकारों को लिखा था. परन्तु वे लेतलाली कर रहे हैं|” सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर हैरानी व्यक्त की कि राज्य सरकारें प्रधानमंत्री के लिखे पर भी ध्यान नहीं दे रही हैं |
सर्वोच्च न्यायालय का रोष वाजिब है | राज्य सरकारों ने ध्यान नहीं दिया था, तो केंद्र को ही कुछ करना चाहिए था | केंद्र ने न तो संवैधानिक प्रावधानों का उपयोग किया और न ही संसद में ऐसा कोई प्रस्ताव ही रखा | यह प्रधानमंत्री की बेचारगी से ज्यादा सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण है |
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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