आनलाइन सर्वे में कांतिलाल से भी पीछे चल रहे हैं कैलाश

भोपाल। यह आश्चर्यजनक परिणाम है, भाजपा के आईटी एक्सपर्ट नेता जो सबको सोशल मीडिया का पाठ पढ़ाते रहते हैं, आनलाइन सर्वे में कांतिलाल भूरिया से भी पीछे चल रहे हैं।

भोपालसमाचार.कॉम पर चल रही गूगल की आनलाइन सर्वे एप्लिकेशन के परिणाम बहुत कुछ बयां कर रहे हैं। स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि मध्यप्रदेश में मुकाबला शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच ही है। जैसे केन्द्र की राजनीति में मोदी ने राहुल को पीछे छोड़ दिया है ठीक वैसे ही मध्यप्रदेश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया का लोकप्रियता का ग्राफ लगातार शिवराज सिंह चौहान से आगे बना हुआ है। दोनों के बीच 55/44 के अंतर चल रहा है।

इसके इतर इस आनलाइन सर्वे में शामिल किए गए भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय एवं बाबूलाल गौर व कांग्रेस के अजय सिंह व कांतिलाल भूरिया में से कोई भी 5 प्रतिशत तक नहीं पहुंच पाया है परंतु यदि सिंधिया और शिवराज को हटा दिया जाए तो सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता अजय सिंह साबित हो रहे हैं।

माना जा रहा था कि मध्यप्रदेश में यदि किसी नेता के सबसे ज्यादा आनलाइन फालोअर्स हैं तो वो हैं कैलाश विजयर्गीय। उनका फेसबुक पेज सबसे ज्यादा लोकप्रिय पेज माना जाता है। इस दृष्टि से वो सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हो सकते थे परंतु इस सर्वे में तो वो कांतिलाल भूरिया से भी पीछे चल रहे हैं।

क्या है इस सर्वे की विश्वस्नीयता

सामान्यत: मीडिया द्वारा की गई सर्वे रिपोर्ट विश्वस्नीय नहीं मानी जातीं परंतु भोपालसमाचार.कॉम पर चल रहे इस लाइन सर्वे की विश्वस्नीयता पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता। इस सर्वे पर ना तो भोपालसमाचार.कॉम के संचालकों का कोई नियंत्रण है और ना ही कोई दूसरा आईटी एक्सपर्ट इसे प्रभावित कर सकता है। यह गूगल की सर्वे एप्लिकेशन है जो गोपनीयता का ध्यान रखते हुए संचालित हो रही है। लोग अपनी पसंद के नेता को वोट कर रहे हैं और इसी के आधार पर वोटिंग के समय तक के परिणाम लाइव चल रहे हैं। अत: यह कोई बंद पेटी नहीं है जो बाद में खुलेगी। जो कुछ भी है सबके सामने चल रहा है। सिंधिया का नाम प्रोजेक्ट होते ही इस सर्वे में सिंधिया की लोकप्रियता 60 प्रतिशत तक चली गई थी परंतु कार्यकर्ता महाकुंभ के बाद शिवराज का ग्राफ बढ़ा और सिंधिया की लोकप्रियता 5 प्रतिशत कम हो गई।

बदल सकते हैं वोट

यह अकेला ऐसा आनलाइन सर्वे है जिसमें वोटर्स अपना वोट डालने के बाद फिर से बदल सकते हैं। य​दि उन्हें लगतार है कि उन्होंने गलत चुनाव कर लिया था तो वो परिवर्तन कर सकते हैं।

गोपनीयता का सवाल

कई सारे लोग गोपनीयता भंग हो जाने के डर से आनलाइन सर्वे में भाग नहीं लेते परंतु यह एक ऐसा सर्वे है जिसमें गोपनीयता भंग होने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता क्योंकि इस सर्वे का सारा का सारा संचालन गूगल के सर्वर से हो रहा है अत: किसी भी सूरत में वोटर्स की पहचान उजागर होने की कोई संभावना नहीं है।

इस सर्वे के लाइव रिजल्ट देखने के लिए कृपया इसी पेज पर दायीं ओर सबसे पहली एप्लिकेशन को देखें। 

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