रतनगढ़ हादसा: पुलिसवालों ने लाशों को लूटा, जिंदा बच्चों को नदी में फैंक दिया

पी नवीन और अमरजीत सिंह/भोपाल/दतिया।
रविवार को मध्य प्रदेश के दतिया में हुए हादसे की परतें जैसे-जैसे उधड़ रही हैं पुलिस का वीभत्स चेहरा सामने आ रहा है। दतिया जिले के रतनगढ़ माता मंदिर में मची भगदड़ के लिए तो लोग पुलिस को जिम्मेदार ठहरा ही रहे हैं, लेकिन भगदड़ के बाद पुलिस ने जो किया उसे सुन कर इंसानियत भी शर्मसार हो जाए।

प्रत्यक्षदर्शियों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने मरे पड़े कई लोगों के शवों और कुछ घायल लेकिन जिंदा बच्चों को उठाकर नदी में फेंक दिया। इन लोगों का कहना है कि इन्होंने इन बच्चों में कई को बचाया। ये भी बताया जा रहा है कि शवों को फेंकने से पहले पुलिस वाले शवों से जेवर और और पैसे निकालकर अपनी जेबें भर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, शवों से जेवर उतारने के लिए पुलिस वालों में होड़ लगी हुई थी।

हादसे की चश्मदीद रजुश्री यादव का कहना है, 'मैंने पुल पर श्रद्धालुओं को चिल्लाते हुए सुना कि पुलिस शवों और कुछ बच्चों को पानी में फेंक रही थी। मैंने खुद छह बच्चों को बाहर निकाला। इनमें से एक को मैंने नदी से निकाला।' ग्राम रक्षा समिति की सदस्य यादव का कहना है कि उन्होंने पांच बच्चों को उनके परिजनों को सौंप दिया है जबकि एक दो साल की बच्ची अभी भी उनके पास है। यादव के साथ उनके भतीजे कमल प्रजापति भी थे। उनका कहना है कि उन्होंने एक लड़के को डूबने से बचाया।

सबसे हैरान करने की बात है कि पुलिस ने सीधे-सीधे इस गंभीर आरोप से इंकार भी नहीं किया है। इस बारे में पूछे जाने पर डीजीपी नंदन कुमार दुबे ने कहा कि आरोपों की पड़ताल की जा रही है और अगर इनमें सचाई मिली तो कार्रवाई की जाएगी।

रतनगढ़ माता मंदिर के पास बसई घाट पर सिंध नदी का पुल टूटने की अफवाह और फिर पुलिस लाठीचार्ज से मची भगदड़ में 115 लोगो के मरने की खबर है। लोग आशंका जता रहे हैं कि मरने वालों की संख्या 200 से ऊपर जा सकती है। बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त वहां करीब 1.5 लाख लोग मौजूद थे। इस बीच इस हादसे के बाद दतिया के डीएम, एसपी, एसडीएम और डीएसपी को सस्पेंड कर दिया गया है।

वहां मौजूद कई प्रत्यक्षदर्शी इस हादसे के लिए सीधे-सीधे पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि पुलिस वालों ने मरने वालों की तादाद छुपाने के लिए कई शवों को नदी में फेंक दिया। इनका यह भी आरोप है कि पुलिस वालों ने शवों को नदी में फेंकने से पहले उनके जेवर और रुपये-पैसे निकाल लिए।

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी इंदेल अहीरवार का कहना है कि उसने पुलिसवालों को कई लाशों को गाड़ी में कहीं ले जाते देखा। उनका कहना है कि उन्होंने करीब 175 लाशें देखीं थीं।

मध्य प्रदेश के ही भिंड की रहने वाली गीता मिश्रा ने स्थानीय संवाददाताओं से कहा, 'मैं भगदड़ के दौरान पुल पर ही थी। पुलिसवालों को 2 दर्जन से अधिक लोगों को नदी में फेंकते देखा।'

हादसे में बाल-बाल बचे दमोह के रहने वाले 15 साल के आ‍शीष अहीरवार ने बताया कि जब वह अपने 5 साल के भाई का शव लेने गया तो पुलिस वालों ने उसे नदी में फेंक दिया। आशीष को गंभीर चोटें आई हैं। आशीष का कहना है, 'मैंने उनसे मेरे भाई की लाश देने की भीख मांगी लेकिन उन्होंने उल्टे मुझे ही नीचे फेंक दिया और बोले कि तुम्हें भी मर जाना चाहिए।' 


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