माता को प्रसन्न करने जीभ काटकर चढ़ा गया युवक

भोपाल। छतरपुर के लवकुशनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बछौन में एक 22 वर्षीय युवक ने देवी को प्रसन्न करने के उद्देश्य से अपनी जीभ काट कर देवी को चढ़ा दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया और जिला अस्पताल छतरपुर रेफर कर दिया गया।

छतरपुर जिले के चंदला थानान्तर्गत ग्राम हिनौता का निवासी 22 वर्षीय तेजराम केवट पिता रामबली केवट नवरात्रि पर व्रत था। युवक बछौन की कालिका देवी मंदिर दर्शन करने गया था। जब सभी लोग सो रहे थे तब वह रात्रि लगभग 02 बजे मंदिर पहुँच गया और चाक़ू से अपनी जीभ काट कर कालिका देवी को चढा  दी और लगभग दो घंटे वहीँ मंदिर में आसन लगाकर बैठा रहा जब सुबह तकरीबन 04 बजे मंदिर का पुजारी वहां पहुंचा तब पुजारी ने लोगों को सूचना दी तथा सामुदायिक स्वाथ्य  केंद्र लवकुशनगर भी सूचना दी जिससे जल्दी ही एम्बुलेंस पहुँच गयी और युवक को प्राथमिक उपचार के लिए सामुदायिक केन्द्र लवकुश नगर लाया गया। जहाँ प्राथमिक उपचार के बाद स्थिति ज्यादा गंभीर होने के कारण तेजराम को लगभग 10 बजे जिला अस्पताल छतरपुर रेफर कर दिया गया.

प्राचीन मन्दिर है काली माता का

बछौन के काली देवी के प्राचीन मन्दिर की क्षेत्र में लोगों के प्रति अटूट श्रद्धा है। जिसके चलते नवरात्रि में यहाँ मेल लगता है। इस दौरान नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक दूर दराज से बड़ी संख्या में लोग काली देवी के दर्शनार्थ यहाँ आते है।  इस मन्दिर में श्रद्धालु अपनी मान्यता पूरी होने के बाद यथा - शक्ति देवी से किये की हुई मान्यता पूरी करते है। मन्दिर की प्रसिद्धि का अन्दाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव भी इस मन्दिर में देवी दर्शन के लिए आ चुके है।  

पहले भी हुई है ऐसी घटनांए

तेजराम केवट के पहले भी कई युवक इस मन्दिर में अपनी जीभ काट कर चढ़ा चुके है। इसके साथ ही यहाँ कुछ श्रद्धालु पशु बलि भी देते है। तेजराम केवट के भाई रामचंद्र ने बताया की रात में कलिका माँ तेजराम के सपने में आई थी जिसके कारण तेजराम ने आज इस घटना को अंजाम दिया।

मानसिक विक्षिप्तता की स्थिति दर्शाती हैं ये घटनाएँ

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लवकुश नगर में पदस्थ बीएमओ डॉ. एस डी मिश्रा का मानना है कि भले ही ऐसी घटनाएँ दैवीय शक्ति के प्रति अनन्य भक्ति दर्शातीं हों। लेकिन विज्ञान की द्रष्टि से ये मानसिक विक्षिप्तता की श्रेणी में आती है। ईश्वर की भक्ति में अपने आप को या फिर किसी और को नुकसान पहुँचाना मानसिक दिवालियापन है। ऐसी स्थिति में समय  पर इलाज किया जाना जरूरी है।

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