फर्जी मध्यप्रदेश शिक्षा बोर्ड ने दी 338 स्कूलों को मान्यता

एसटीएफ और बागपत पुलिस ने फर्जी शिक्षा बोर्ड बनाकर करोड़ों की जालसाजी करने वाले शिक्षा माफिया के गिरोह का पर्दाफाश किया है। गाजियाबाद, संभल और कासगंज से गिरफ्तार 15 जालसाज मध्यप्रदेश के फर्जी शिक्षा बोर्ड बनाकर पूरे देश में जाली मार्क्सशीट, प्रमाण पत्र और स्कूलों व कॉलेजों की मान्यता बांट रहे थे।

गिरफ्तार लोगों के पास से बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज, 22 राज्यों में बांटी गई स्कूलों की मान्यता के कागजात व छपाई का सामान बरामद हुआ है। जालसाजों ने अपने-अपने बोर्डों की वेबसाइट भी बना रखी थी।

एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ लोग ‘माध्यमिक शिक्षा परिषद, मध्य भारत ग्वालियर, मप्र (बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजूकेशन, मध्य भारत ग्वालियर, एमपी) के नाम से फर्जी शिक्षा बोर्ड का संचालन कर कक्षा 10 व 12 की फर्जी मार्क्सशीट व प्रमाण-पत्र (सनद) बेच रहे हैं।

तफ्तीश के दौरान पता चला कि कासगंज के गंजडुंडवारा में डॉ. गंगादयाल शाक्य, संभल में विपिन शर्मा व गाजियाबाद में डॉ. महेश चंद्रवंशी इसे संचालित कर रहे हैं।

इन लोगों ने ग्वालियर में हेड ऑफिस बना रखा है। 17 अक्तूबर को इन सबके खिलाफ बागपत के थाना दोघट में धोखाधड़ी, जालसाजी और 66ए व 69 आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।

एसटीएफ की टीम ने शनिवार को बागपत पुलिस के साथ तीनों स्थानों पर छापेमारी कर संचालकों समेत 15 लोगों को धर दबोचा।

बाप चेयरमैन, बेटे परीक्षा नियंत्रक और सचिव

कासगंज के गंजडुंडवारा में गिरफ्तार डॉ. गंगादयाल शाक्य ने खुद को बोर्ड का चेयरमैन और दो बेटों को परीक्षा नियंत्रक व सचिव बना रखा था। इनके अलावा सुशील, संजय मिश्रा व दूसरे साथी मिलकर अवैध बोर्ड का संचालन कर रहे थे।

इस गिरोह ने ग्वालियर के गांधी रोड पर सत्यदेवनगर स्थित शांति निकेतन में मुख्यालय और गंजडुंडवारा में क्षेत्रीय कार्यालय खोल रखा था।

इन लोगों ने देशभर में एजेंट बना रखे थे और जालसाजी की सारी रकम का आदान-प्रदान बैंक खातों के जरिए होता था। गिरोह के आठ बैंक खाते सामने आए हैं। इन लोगों ने अपने बोर्ड की वेबसाइट भी बना रखी थी, जिसके जरिए छात्रों को लुभाते थे।

388 स्कूलों को दी फर्जी मान्यता, इनमें 173 यूपी के

गिरोह ने देशभर में 388 स्कूलों को फर्जी मान्यता दे रखी थी। इसमें उत्तर प्रदेश के 173, महाराष्ट्र के सात, पश्चिम बंगाल के 112, तमिलनाडु के आठ, कर्नाटक के 18, बिहार के 12, हरियाणा के आठ, ओडिशा के 10, पंजाब के नौ, राजस्थान व दिल्ली के चार-चार, झारखंड के सात, केरल के पांच, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, चंडीगढ़, उत्तराखंड के दो-दो और जम्मू-कश्मीर, असम व सिक्किम का एक-एक स्कूल शामिल है।

यह गिरोह मान्यता दिलाने के लिए 52000 रुपये लेता था। इसमें दस हजार एजेंट के होते थे। छात्रों से वार्षिक फीस के नाम पर 2200 रुपये लिए जाते थे।

वेबसाइट पर फर्जी मार्क्सशीट का विवरण

गाजियाबाद व संभल में गिरफ्तार संचालक खुद की ओर से जारी फर्जी मार्कशीट और प्रमाण पत्रों का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर डाल देते थे ताकि छात्रों को उन पर शक न हो।

गाजियाबाद के मोदीनगर निवासी डॉ. महेश चंद्रवंशी ने खुद को चेयरमैन बनाया था, जबकि गवां (संभल) निवासी विपिन शर्मा उर्फ योगेश्वर शर्मा सचिव था और राजेश सिंह उर्फ डॉ. राजेश्वर सिंह परीक्षा नियंत्रक।

इन लोगों ने अपने दफ्तर ग्वालियर के लश्कर के सिकंदर कंपू के पटियावाला मोहल्ला स्थित अजयपुर और मोदीनगर के गोविंदपुरी स्थित बिसोखर रोड पर बना रखे थे। विपिन और महेश पहले साथ थे। बाद में विपिन ने अपनी अलग वेबसाइट बना ली।

डॉ. राजेश्वर सिंह फर्जी मार्कशीट की छपाई और बैंक खातों का काम देखता था। दूसरे राज्यों से एजेंट छात्रों की मार्क्सशीट के लिए जरूरी डिटेल इनकी ई-मेल आईडी व मोबाइल पर एसएमएस के जरिए भेजते थे।

डॉ. महेश चंद्रवंशी ने 17 राज्यों में 123 स्कूलों को फर्जी मान्यता दी। इनमें उत्तर प्रदेश के 35, हरियाणा के 13, राजस्थान के 27 और उड़ीसा के 10 स्कूल हैं। विद्यालयों को मान्यता देने के लिए ये बैंक ड्राफ्ट के जरिए 54000 रुपये लेते थे। छात्रों से 5000 से 10000 रुपये लिए जाते थे।

फर्जी अंकपत्रों से मिल गईं सरकारी नौकरियां

विपिन शर्मा ने 15 राज्यों में 70 स्कूलों को फर्जी मान्यता बांटी। इनमें उत्तर प्रदेश के 23, राजस्थान के 10, पश्चिम बंगाल और हरियाणा के सात-सात स्कूल शामिल हैं। इस गिरोह से जारी की गई मार्क्सशीट से सेना व पैरामिलिट्री विभाग समेत अन्य सरकारी विभागों में कई लोगों की नौकरी लगने की बात सामने आई है।

इनमें से कई के अंकपत्र जांच में फर्जी पाए गए। यह गिरोह कक्षा 10 की मार्क्सशीट के लिए 10 हजार और 12 की मार्क्सशीट के लिए 15000 रुपये लेता था।

पहले भी हो चुके हैं गिरफ्तार

इन गिरोहों के लोग पहले भी पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। गंगादयाल शाक्य के खिलाफ ग्वालियर में धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। उसके खिलाफ राजस्थान के बीकानेर के नोखा में भी मुकदमा दर्ज है। विपिन शर्मा पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ हायर सेकंडरी एजूकेशन, दिल्ली के नाम से फर्जी शिक्षा बोर्ड के संचालन का आरोप है।

उसके खिलाफ देहरादून में मामला दर्ज है। गिरोह के लोगों ने जालसाजी की रकम से कई संपत्तियां बनाई हैं। इनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। गैंगस्टर के तहत इनकी संपत्ति जब्त की जाएगी।

इतनी हुई बरामदगी

बड़ी संख्या में फर्जी मार्क्सशीट, नगदी, स्कैनर, कंप्यूटर, लैपटॉप, गाड़ी, माइग्रेशन फॉर्म, एटीएम व डेबिट कार्ड, एडमिट कार्ड, पासपोर्ट, गुरुकुल विद्यापीठ वृंदावन मथुरा के गजट, पैरा मेडिकल कोर्स के डिप्लोमा के खाली प्रमाण-पत्र, विभिन्न बोर्ड की मोहरें, अखिल भारतीय चिकित्सा परिषद के मेडिकल कोर्स की मार्क्सशीट और विवेकानंद मिशन यूनिवर्सिटी के मेडिकल कोर्स के प्रमाण पत्र।


#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !