पुलिस विभाग में 26 करोड़ का गोलमाल

भोपाल। मध्य प्रदेश पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए प्रदान की गयी केंद्रीय सहायता में से करीब 26 करोड़ रुपए अनधिकृत तरीके से निकालने समेत राज्य पुलिस के अधिकारियों द्वारा अन्य कथित वित्तीय अनियमितताएं किये जाने का खुलासा राज्य के महालेखा परीक्षक की एक आडिट रिपोर्ट में किया गया है।

केंद्र सरकार ने 2011-12 के दौरान राज्य पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए करीब 54.54 करोड़ रुपए दिये थे। करीब 27.68 करोड़ रुपए खर्च किये गये और बाकी करीब 26.85 करोड़ रुपए चालान के माध्यम से महालेखा परीक्षक, ग्वालियर के खाते में जमा किये गये। आडिट रिपोर्ट के अनुसार बाद में यह राशि बिना आवश्यक मंजूरी के जल्दबाजी में निकाल ली गयी जो वित्तीय नियमों के खिलाफ है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस धन में से करीब 4 करोड़ रुपए प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में पुलिस के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए निर्धारित थे और 60 लाख रुपए मानव तस्करी निरोधक प्रकोष्ठ के लिये थे। आडिट करने वाले अधिकारियों ने प्रक्रिया के दौरान पुलिस अफसरों द्वारा दी गयी इस दलील को खारिज कर दिया कि चीजों की खरीद के लिहाज से आवश्यक मंजूरी के बाद ही धन निकाला गया।

आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल करते हुए इस रिपोर्ट को प्राप्त किया है। रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, 2004 के नियमों का उल्लंघन किया जिनमें प्रावधान है कि करीब 30 प्रतिशत खरीदारी अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की श्रेणी के कारोबोरियों या उद्योगपतियों से की जानी चाहिए।


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