कांग्रेस की फोटोकॉपी हो गई है भाजपा, 20 से ज्यादा विधायकों का खुला विरोध

भोपाल: चाल, चेहरा और चरित्र की बात कर अपने को 'पार्टी विद द डिफरेंस' बताने वाली बीजेपी अब कांग्रेस की राह पर चल पड़ी है। यहां भी विधानसभा चुनाव में टिकट पाने और दूसरे का टिकट कटवाने के लिए सिर-फुटौव्वल का दौर जारी है।

भाजपा लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर हैट्रिक बनाने का दावा कर रही है। इसके लिए पार्टी और सरकार ने हर स्तर पर तैयारी भी की है। इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ तो नहीं, मगर उनके विधायकों और मंत्रियों के प्रति असंतोष है। इस बात से मुख्यमंत्री से लेकर संगठन तक अच्छी तरह से वाकिफ है।

विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ असंतोष पर लगाम लगाने के लिए पार्टी कइयों का टिकट काटने का मन बना रही है, वहीं कार्यकर्ता भोपाल पहुंचकर कई विधायकों व मंत्रियों का टिकट कटवाने के लिए डेरा डाले हुए हैं।

राज्य के लगभग 20 से ज्यादा ऐसे विधायक हैं, जिनके खिलाफ उनके क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ता विरोध दर्ज कराने लगे हैं। सरकार के मंत्री ब्रजेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ उनके विधानसभा क्षेत्र में एक तरफ पार्टी कार्यकर्ता रैलियां निकाल रहे हैं तो दूसरी ओर बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने भोपाल पहुंचकर अपना विरोध दर्ज कराया। इसके अलावा विधायक संतोष जोशी, अलकेश आर्य, ताराचंद्र बावरिया, गिरिजाशंकर शर्मा, लाल सिंह आर्य, सरताज सिंह, नीता पटैरिया सहित कई अन्य विधायकों के खिलाफ प्रदर्शन हो चुके हैं।

हर रोज विरोध के मुखर हो रहे स्वर पर लगाम लगाने की पार्टी कोशिश कर रही है, इसके लिए उसने पन्ना जिले के दो मंडल अध्यक्ष रमेश पटेल और केशव लोधी को पद से हटा दिया है. यह दोनों मंत्री ब्रजेंद्र प्रताप सिंह का विरोध कर रहे थे.

पार्टी के वरिष्ठ नेता और सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री बाबू लाल गौर भी मानते हैं कि तीसरी बार सरकार बनाने के लिए कड़े फैसले लेने होंगे, विधायकों से लेकर मंत्रियों तक के टिकट काटने में हिचक नहीं होना चाहिए. वे विरोध को पार्टी की लोकप्रियता भी मानते हैं. वहीं पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा पार्टी के भीतर बढ़ती गोलबंदी से दुखी हैं.

उनका कहना है कि टिकट पाने और दूसरे का टिकट कटवाने के लिए गुटों में बटकर प्रदर्शन करना पार्टी की संस्कृति कभी नहीं रही है. वे उम्मीद करते हैं कि संगठन ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कदम उठाएगा.

पार्टी के लिए कार्यकर्ताओं के मुखर होते स्वर मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं. आखिर संगठन के लिए यह चुनौती बन गया है कि इस असंतोष पर कैसे रोक लगाए. कार्यकर्ता संगठन में बदलाव न होने पर गंभीर परिणाम तक भुगतने की चेतावनी तक दे रहे हैं.

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