कांग्रेस-भाजपा से नाराज मतदाता नपा अध्यक्ष की चाबी तीसरे को सौंपने की तैयारी में

अनूपपुर(राजेश शुक्ला)। यह क्षेत्र हमेशा इतिहास बनाता चला आ रहा है।  इतिहास के आईनों में अनूपपुर में एशिया महाद्वीप का पहला प्रयोग नगरपालिका में चुने हुए प्रतिनिधि को वापस बुलाकर रचा था। इसके बाद यहां के किन्नर शबनम मौसी ने शहडोल जिले की सोहागपुर विधानसभा में जाकर चुनाव लड़ा वहां की जनता ने दोनों बड़े दलों को नकारते हुए इन्हें अपना विधायक चुनकर भोपाल भेजा।

यहां इस बार भी अनूपपुर नगरपालिका क्षेत्र के मतदाता भी एैसा कुछ करने का मन बना लिया है। लोगों को दोनों ही बड़े दलो से नाराज है। इसका खामियाजा इन दोनों दलो को उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस और भाजपा से लोग त्रस्त हो चुके हैं। इनके कारनामों ने नगर ही नहीं, अपितु पूरे प्रदेश को शर्मसार किया है। नगरपालिका क्षेत्र में इन दोनों दलों के नेताओं ने भ्रष्टाचार के नये-नये कीर्तिमान स्थापित कर पुन: मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं।  वही मतदाता अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहा है जिससे इन दोनों बड़े दलो की सांसे रूकी हुई है। एक सर्वे के अनुसार इस बार  नया गुल खिलाने की फिराक में मतदाता लग रहे हैं और नगर एक नये  इतिहास की ओर बढ़ रहा है।

जब से नगरपालिका बनी है तब से इन दोनों दलों के पास ही  नगरपालिका की कमान रही है, लेकिन नगर का समुचित वास्तविक विकास कहीं नजर नहीं आ रहा जो कार्य हुये भी हैं वह अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। इनके विकास कार्य प्याज के छिलके की तरह परते उतरने लगी है। जिसे नगर का हर मतदाता देख रहा सुन रहा है। अब यही मतदाता कभी कांगे्रस तो कभी भाजपा को नगरपालिका की कमान सौंपता था अब पूरी तरह से बदलाव के मूड में दिख रहा है। दोनों ही दलों को सत्ता की चाबी  सौंपने वाले मतदाता इन दोनों दलों के नपा मुखिया से नाराज हैं। एक ने बाजार तो दूसरा बस्ती तक सीमित रहा और इनके किये कार्य आज सामने है। इनका खामियाजा कांगे्रस एवं भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।

 नगर के पन्द्रह वार्डो में १२७६९ मतदाताओं के साथ नगरपालिका का चुनाव सम्पन्न होना है जिसमें अध्यक्ष के १३ एवं पार्षद के ७० दावेदार अपना भाग्य अजमा रहें है। निर्दलीयों की फौज कुछ ज्यादा ही नजर आ रही। प्रमुख राजनैतिक दल कांगे्रस, भाजपा की प्रतिष्ठा से यह चुनाव जुड गया है जो आगे की दशा और दिशा तय करेगा अभी भी कांगे्रस, भाजपा की अन्र्तकलह सुलझती नजर नहीं आ रही। टिकट वितरण को लेकर अपनायें गये फार्मूले से कार्यकर्ता कुछ ज्यादा ही असंतुष्ठ नजर आ रहें है। चुनावी प्रचार भी शबाब पर है। कांगे्रस भाजपा के दिग्गज भी अब मैदान में उतर चुके है, लेकिन ये मतदाताओं को स्थानीय चुनाव में कितना संतुष्ठ कर पायेगें ये आने वाले समय ही बतायेंगा। कांगे्रस और भाजपा दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों ने अपने पूर्व पार्षदों को मैदान में उतारा है जो कि अपने वार्डो के लिये कार्य करते थें। नगरपालिका में आवाज उठाते थें अब ये दोनों ही पूरे वार्डो में कार्य करने के लिये चुनावी मैदान में उतरे है। कांगे्र्रस भाजपा के दोनों चेहरे कुछ जनमानस के लिये  नयें ही है जो नाम से जाने जा रहें है लेकिन चेहरे से पहचानें नजर नहीं आ रहें हैै। क्योंकि ये वार्ड एवं अपने इलाके तक ही सीमित रह गयें। बाजार एवं बस्ती दो हिस्सों में पन्द्रह वार्डो का समयोजन है । यह नगर दो भागों में विभक्त है जिसमें बाजार का क्षेत्र कांगे्रस का गढ़ माना जाता है तो बस्ती को भाजपा का, लेकिन दोनों ही दलों से सेंध लगाने का कार्य निर्दलीय प्रत्याशी बड़ी तेजी से कर रहें हंै। यदि निर्दलीय प्रत्याशी को जनता के साथ अधिकारियों, कर्मचारियों का समर्थन मिल गया तो एक बार सोहागपुर विधानसभा की तरह अनूपपुर नगरपालिका का इतिहास भी बदल जायेगा न कांगे्रस न भाजपा निर्दलीय उम्मीदवार नगरपालिका की कुर्सी पर विराजमान हो जायेगा।

सोहागपुर विधानससभा में कभी कांगे्रस तो कभी भाजपा का विधायक विराजमान होता था लेकिन सुश्री  शबनम मौसी ने सोहागपुर में जाकर विधायक की ताल ठोक दी तो वो कांगे्रस-भाजपा दोनों को ही चित कर विधायक निर्वाचित हो गई वही कांगे्रसी और भाजपाई ने उन्हें निर्वाचित करा दिया आज अनूपपुर नगरपालिका के चुनाव में भी वहीं स्थिति निर्मित्त हो चुकी है। कांगे्रस भाजपा दोनों से ही जनता ऊब चुकी है। अब वो अपने बीच के युवा उम्मीदवार को कमान सौंपने का मन बना चुकी है। आजतक की चुनावी तैयारी में निर्दलीय उम्मीदवार का प्रचार-प्रसार चरम पर है अब दोनों प्रमुख दल आने वाले दिनों में क्या नया गुल मतदाताओं के मध्य खिला पाते है ये आने वाले दिनों में पता चलेगा अभी तो सभी घर-घर जाकर मतदाताओं से मिल रहें है मतदाता भी सभी को आश्वासन, आशीर्वाद दे रहें है और सभी आशान्वित भी है। बस अब १६ सितम्बर भी करीब है जब सभी का भाग्य मतपेटियों में कैद हो जायेगा और उसके बाद लोगों की गणित तेजी से चालू हो जायेगी और १८ की दोपहर तक वास्तविक तस्वीर जनता के सामने आ जायेगी।

दोनों ही दल के लोग नाराज हैं अपने चुनाव प्रभारी से। दोनों दलो के लोगों ने अपने-अपने व्यक्तियों को पार्टी का टिकट दिलवाकर कार्यकर्ताओं के बलबूते चुनाव लडऩे की रणनीति बनाई थी, किंतु कार्यकर्ता दोनों से ही नाराज है। भाजपा ने फार्म भरने के एक दिन पहले अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी थी, किंतु नाम वापसी के दिन प्रत्याशी बदलने के कारण नाराज हैं। कार्यकर्ताओं ने कहा है कि इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और इसका सीधा फायदा स्वतंत्र रूप से लड़ रहे प्रत्याशियों को मिल सकता है। इसी तरह कांग्रेस में भी गुटबाजी चरम पर है। कहीं यह गुटबाजी पार्टी के प्रत्याशी का हार का कारण  न बन जाये। लोगों का मानना है कि दोनों पूर्व अध्यक्षों ने अपनी-अपनी गोटी फिट करने के लिये एैसे व्यक्ति को अध्यक्ष का प्रत्याशी बनाया है, जिन्हें पूरे नगर की जनता भी नहीं जानती, अध्यक्ष उम्मीदवार बने व्यक्ति ने तीन पंचवर्षीय पार्षद रहे और अपने वार्ड का विकास नहीं कर सका तो वह क्या नगर का विकास करेगा।

अगर अनूपपुर के मतदाताओं ने इतिहास बदलने का कार्य किया तो निश्चित ही दोनों प्रमुख राजनैतिक दल के लिये परेशानी का सबब बन जायेगा। अब मतदाता भी पूरी तरह होशियार हो चुका है जो चुनाव के समय सभी को पूरी तरह आश्वस्त कर देता है कि मत आपकों ही मिलेगा लेकिन वो आश्वासन कितना सटीक होता है ये तो परिणामों की गिनती से ही सामने आता है। अनूपपुर में मुस्लिम वोट की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है लेकिन इस बार मुस्लिम समुदाय से ही तीन लोग अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहें जो कि कांगे्रस भाजपा के लिये भी नुकसानदायक है। अब तक की स्थिति को देखकर तो ऐसा आभास हो रहा कि मतदाता इतिहास बदलने के मूड में तैयार है फिर धीरे-धीेरे क्या  समीकरण बनते है ये आने वाला वक्त ही बतायेगा।

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