अनूपपुर नपा चुनाव: बीजेपी, कांग्रेस दोनों में कलह बरकरार

राजेश शुक्ला/अनूपपुर। गैरों में कहां दम था, अपनों ने ही हमें डुबोया इस कहावत को चरितार्थ करेगा अनूपपुर नगरपालिका का परिणाम। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपनों को मनाने में जुटे हुए हैं। ये अपने टिकट वितरण को लेकर खासे नाराज हैं। भाजपा ने पर्चा खीचने के एक दिन पहले प्रत्याशियों की घोषणा कर दी, किंतु दूसरे दिन अपने प्रत्याशियों को बदलने से कार्यकर्ता खासे नाराज हो गये।

कार्यकर्ताओं का मानना है कि हमारे सामने भोजन की थाली परोस कर उसे हटा लिया गया है। इससे अच्छा होता कि वह पहले ही इस बात की घोषणा ही ना करते तो कम से कम यह अपमान तो ना होता। इस अपमान का बदला भाजपा को  उठाना पड़ेगा। भाजपा ने जिसे अपना अध्यक्ष पद का प्रत्याशी छोटे लाल पटेल को बनाया है जो कि पिछले तीन पंचवर्षीय से नगरपालिका में वार्ड क्रं. 15 के पार्षद पद पर रहते हुये वार्ड का प्रतिनिधित्व किया है, किंतु इन 15 वर्षो में इसने अपने वार्ड में सड़क, नाली, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं भी अपने वार्ड को नहीं दे पाने वाला व्यक्ति आज किसी का मोहरा बनकर अध्यक्ष पद के लिये वोट मांग रहा है।

कल तक अपने परिवार के दम पर पार्षद निर्वाचित होने वाला व्यक्ति आज यह कैसे उम्मीद कर सकता है कि नगर के मतदाताओं को यह स्वीकार होगा। और तो और उसी वार्ड का निवासी अब इसे क्यों अपना  मत देगा कि जिसने अपने वार्ड का विकास नहीं किया तो नगर का विकास कैसे करेगा। यह नगर दो भागों में विभक्त है, बाजार और बस्ती के नाम से है। वार्ड क्रं. १ से ८ तक कांग्रेसी, ९ से १५ वार्ड भाजपा का माना जाता है। इस नगरपालिका में १५ वर्ष भाजपा का शासन रहा और अध्यक्ष  बस्ती क्षेत्र के रहे, किंतु इन्होंने अपने क्षेत्र के विकास के नाम पर अपने लोगों को ठेकेदार बनाकर बस्ती क्षेत्र की सड़कें आज पूरी तरह उखड़ चुकी हैं।

यहां के निवासियों को इस सड़क से चलना किसी खतरे से कम नहीं है। विकास के नाम पर नगर का विनाश करने वाले अब पुन: जनता के बीच एक रबर स्टाम्प के माध्यम से पुन: सत्ता पे काबिज होने का सपना देख रहे हैं, किंतु इस बार घर से ही विरोध प्रारंभ हो चुका है और यह विरोध नगर के सभी वार्डो में पहुंच चुका है। जनता इनसे परेशान हो चुकी है अब बदलाव के मूड़ में दिख रही है। कहीं यह आक्रोश मत पेटियों में अगर चला गया तो फैसला दलों के विरूद्ध होगा।

इसी तरह से कांग्रेस के पास भी नगर की सत्ता लगभग २० वर्षो से थी, किंतु विकास के नाम पर माना जाये तो कोई कार्य नहीं हुये हैं।  कांग्रेस के शासनकाल में विधायक बिसाहू लाल सिंह जब प्रदेश के मंत्री थे। तब नगर का विकास हुआ था इसके बाद पुन: कांग्रेस सत्ता पे काबिज हुई और वह विकास इस बार शून्य हो गया। निवर्तमान अध्यक्ष ने नगर के विकास में कांग्रेसी वार्डो में कुछ एक जगह सड़कें बनवाई बाकी वार्डो में कोई कार्य नहीं हो सका। नगर में मनोरंजन के कोई साधन नहीं होने से नगरवासियों को सुकून के दो पल के लिये तरसना पड़ता था। 

इसके लिये नगरपालिका में बैठे कांग्रेस के अध्यक्ष ने कोई प्रयास नहीं किया, बल्कि नगर के पत्रकारों ने कलेक्टर से आग्रह कर सामतपुर तालाब का गहरीकरण और इसे एक पार्क के रूप में विकसित करने की बात कर इसे मूर्तरूप दिया और कलेक्टर कविन्द्र कियावत पत्रकारों की इस आग्रह को स्वीकार कर तालाब का सौंन्दर्यीकरण अन्य शासकीय कार्यालयों से सहयोग लेकर शुरू किया, जहां आज लोग सुकूल के दो पल बैठकर बिता सकते हैं, किंतु नगरपालिका ने इसमें भी अपनी चाल चलते हुये लाईट  के नाम पर १६ लाख रूपये निकाले और सामतपुर तालाब में चारो तरफ लाईट लगाया, किंतु जानकारों का मानना है कि यहां लगी हुई लाईट १६ लाख की नहीं है। इसमें नपा अध्यक्ष ने अपने चहेते ठेकेदार से मिलकर इसमे ंवारा न्यारा किया है। 
इसी कांग्रेस शासनकाल में ८५ लाख रूपये गमन का आरोप लगा और मामला न्यायालय तक पहुंचा। जिसके चलते नपा अध्यक्ष सहित नपा के अधिकारी, कर्मचारी कई महीनों तक फरार रहे और फिर न्यायालय की शरण में पहुंचकर गिरफ्तारी ना करने का स्टे लिया तब कहीं जा कर सभी कार्यालय पहुंचे। एैसे भ्रष्ट नेता ने देखा कि कहीं कोई इनकी पुरानी फाईलें खोल ना लें तो उन्होंने चाल चलते हुये अपने एक एैसे व्यक्ति को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनवाया जो इनके कहने पर चले और पार्टी ने भी एैसे रबर स्टाम्प पर अपनी मोहर लगा दी। अब यह पार्टी का अधिकृत अध्यक्ष प्रत्याशी हो गया, किंतु इस घोषणा से जहां वरिष्ठ कांग्रेसजनों का अपमान हुआ है, वहीं युवा वर्ग भी इससे खासा नाराज है कि सत्ता की चाबी इन्हीं के पास रहेगी कभी अन्य व्यक्ति को भी इसकी चाबी मिलेगी।

पॉच वर्ष पूर्व नगरपालिका चुनाव परिणाम इस बात के प्रमाण है कि कांगे्रस एवं भाजपा ही निर्णायक भूमिका अदा करने में सक्षम रही है लेकिन आज की परिस्थितियां बदली-बदली नजर आ रही है। कांगे्रस भाजपा के लोग ही सेंध लगाने का कार्य तेजी से कर रहें है। इस बार के नपा चुनाव में कांगे्रस को कांगे्रस ही चुनौती दे रही है। जबकि भाजपा में ऐसी कोई चुनौती  नहीं  है,किंतु इनमें भी अपने कार्यकर्ताओं का जबरजस्त विरोध होने से डगर कठिन दिख रही है।   कांगे्रस के वरिष्ठ कर्णधार भी बस बैठकों तक सीमित है। मैदान में कहीं नजर नहीं आ रहें हैं, जबकि भाजपा के मंत्री से लेकर संतुष्ट कार्यकर्ता तक को मैदान में उतर चुके हंै। कांगे्रस के परम्परागत मुस्लिम वोट पर मुस्लिमों ने ही सेंध लगा दी है। यह कांगे्रस के लिये घातक सिद्ध होगा व्यापारी समुदाय एवं बाजार क्षेत्र में कांगे्रस के बागी उम्मीदवार जो निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ रहें है युवा वर्ग की पहली पसंद बन चुके हैं।

भाजपा के परम्पागत वोटों पर असंतुष्ट कार्यकर्ता चुनौती  दे रहे हैं। और भाजपा ने इन्हें समय रहते अपने पक्ष में कर लिया तो भीतरघात का खतरा कम हो जायेगा। और भाजपा चुनाव में अच्छे परिणाम की उम्मीद कर सकती है। किंतु यह कहीं भी नजर नहीं आ रहा है कि असंतुष्ट कार्यकर्ता को संतुष्ट कर पाना भाजपा कांगे्रस दोनों के बस में नहीं दिखाई दे रहा। अगर इस तरह से है तो बागी उम्मीदवार को  जिस तरह मतदाताओं का समर्थन मिल रहा है और यह १६ सितम्बर  तक मिलता रहा तो दोनों ही दलों को सत्ता से दूर ढकेलने में मतदाताओं को देर नहीं लगेगी। इसमें अगर अधिकारी, कर्मचारी का सहयोग मिल गया तो यह सोने में सुहागा होगा।

नगरपालिका अनूपपुर का चुनाव कांगे्रस उम्मीदवार के लिये सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण है यदि चुनौती पूर्ण चुनाव से कांगे्रस उम्मीदवार आगे निकल गये तो कोतमा नगरपालिका अध्यक्ष राजेश सोनी की तरह ऐतिहासिक हो जायेगें। एक तो जनता की परिवर्तन की परिकल्पना के चलते भी कांगे्रस के लिये काफी लम्बी चुनौती है। कांगे्रस नेता विधायक बिसाहूलाल सिंह अपनी रणनीति बनाने में जुटे है लेकिन  परिस्थितियां इस बार बदल चुकी है फिर भी वे कार्यकर्ताओं का उत्साहवद्र्धन कर रहें है इस बार निर्दलीयों को भी काफी आश नगर के मतदाताओं से है अध्यक्ष के साथ पार्षद भी आशान्वित है और नगरपालिका में विराजमान होगें। 

नगर के मतदाता कांगे्रस एवं भाजपा से वार्ड पार्षदों को लेकर भी नाराज नजर आ रहें है। इसका उदाहरण वार्ड क्रं. ८ में भाजपा के उम्मीदवार ने अपना नाम यह कहते वापस ले लिया कि हमें अब इस चुनाव चिन्ह से चुनाव नहीं लडऩा है बल्कि थोडी देर बार पूरी तरह अपने आप को इस चुनाव से बाहर कर लिया और भाजपा में इस वार्ड के लिये कोई प्रत्याशी नही मिला। इससे बडे शर्म की बात क्या होगी कि सत्ताधारी दल को नगरपालिका के वार्ड ने पार्षद का प्रत्याशी भी ना मिले इससे परिणाम को जाना जा सकता है कि जनता इस बार पूरी तरह सत्ता की चाबी दोनों ही दलों को नहीं देने का मन बना चुकी है अब परिणाम की प्रतीक्षा बाकी है। इस परिणाम के बाद दोनों ही दल पर यह अफसोस ना हो कि कस्ती वहीं डूबी जहां पानी कम था।

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