भोपाल। मध्यप्रदेश के सीएम की कुर्सी से उतरने के बाद हर साधू को हिन्दू आतंकवादी करार देने पर तुले दिग्विजय सिंह, आसाराम कांड के सामने आते ही बयाबाजी ऐसे कर रहे थे जैसे वो बचपन से जानते हैं कि आसाराम कैसा आदमी है, लेकिन आश्रम को जमीन का मामला उठने के बाद वो अचानक चुप हो गए थे। अंतत: उन्होंने स्वीकार किया है कि वो आसाराम को संत मानते थे।
हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि आसाराम को आश्रम के लिए करोड़ों की जमीन कोड़ियों के नाम देने से पहले किसी प्रकार की कोई जांच कराई गई थी या केवल अपनी मान्यता के आधार पर ही उन्होंने सरकार की करोड़ों की संपत्ति दान कर डाली।
इंदौर अपने मुख्यमंत्रीकाल में आसाराम को आश्रम के लिए लीज पर जमीन आवंटित करने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि आसाराम को मैं संत मानता था, इसलिए लीज पर जमीन दी। अब उनकी करतूत सामने आ गई है और लीज शर्तों का भी उन्होंने उल्लंघन किया है, इसलिए जमीन वापस ले लेना चाहिए। सिंह ने यह बात गुरुवार को पत्रकारों से कही। महानगर पालिका ने 6 हजार वर्ग फीट जमीन को आश्रम के कब्जे मुक्तकराया है। आश्रम ने गोदावरी नदी किनारे 18 व 24 मीटर के रोड की जमीन दबा रखी थी।