राकेश दुबे@प्रतिदिन। और लालूप्रसाद जेल चले गये, ३ अक्तूबर को सज़ा भी सुना दी जाएगी | बहुत मैनेज करने की कोशिश की ऐन वक्त पर राहुल बाबा ने रायता फैला दिया | नहीं तो चुपचाप मामला निबट जाता |
कांग्रेस वैसे भी राष्ट्रपति की महत्ता हस्ताक्षर करनेवाले बुजुर्ग से ज्यादा करती भी कब है| ज्ञानी जेल सिंह के बाद दादा प्रणव मुखर्जी ने मंत्रियों की क्लास ली और इसके भले बुरे से अवगत करा दिया | राहुल बाबा दादा को गुरुतुल्य मानते हैं, आगामी अंदेशे को देखते हुए प्रधानमंत्री से भिडने में भी गुरेज़ नहीं किया| कांग्रेस का कायदा है जीतेगे राहुल बाबा ही भले ही ,,,,,,,,,..हो जाये |
अगर अध्यादेश मंजूर हो जाता, तो भी लालूप्रसाद को कोई राहत नहीं मिलती | उनके वकील को सर्वोच्च न्यायलय ने स्पष्ट कह दिया था कि “दोषी जनप्रतिनिधियों की अयोग्यता से संरक्षण देने सम्बन्धी प्रस्तावित अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद भी इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की जा सकती है और अध्यादेश पारित भी हो गया, तो सर्वोच्च न्यायलय उस पर स्थगन भी दे सकता है|”
अब बचा ही क्या था ? भला हो राहुल बाबा का जिन्होंने दादा के पूछे सवालों को गम्भीरता से लिया और साफ कर दिया की अभी तो यह अंगड़ाई है | देश के सभी राजनीतिक दलों में बड़े-बड़े सूरमा पड़े हैं, जो शान से संसद और विधानसभा में डटे हैं | इनकी जगह कहाँ है, यह तो सर्वोच्च न्यायलय बता चुका है | अध्यादेश वापसी के साथ कांग्रेस कुछ और लोगों पर से कृपा दृष्टि हटा ले तो एक नई परम्परा स्थापित होगी और यह देश के लिए शुभ होगा |