राहुल बाबा ने किया “राइट टू रिजेक्ट” का इस्तेमाल

राकेश दुबे@प्रतिदिन। आज का दिन 27 सितम्बर 2013 हमेशा चर्चा में रहेगा| आज दो महत्वपूर्ण बात हुईं| पहली-भारत के सर्वोच्च न्यायलय ने देश के मतदाताओं को चुनाव में “राइट टू रिजेक्ट” का अधिकार दिया| दूसरी- यूपीए-२ सरकार द्वारा दागी सांसदों के बचाव को लेकर भेजे गये अध्यादेश को कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने बकवास करार दिया और माना कि उनकी सरकार ने गलती की है|

चुनाव के लिए मौजूदा प्रत्याशियों में से कोई नहीं, जैसे मत प्रयोग का अधिकार पहले से था | वोटिंग मशीन के चलन के बाद यह  हो गया था कि मतदाता किसी एक को चुने, क्योंकि उसमे उम्मीदवारों को नकारने का कोई प्रावधान नहीं था| चिंतक के एन गोविन्दाचार्य,अन्ना हजारे, अरविन्द केजरिवाल, स्वामी रामदेव आदि खुलकर और कुछ राजनीतिक दल आधे अधूरे मन से इसकी मांग कर रहे थे| आज सर्वोच्च न्यायलय ने इसे मौलिक अधिकार बना दिया| अब मशीन में यह बटन लगाना होगा| चुनाव सुधार की दिशा में यह एक और कदम है|

चुनाव सुधार की दिशा में सर्वोच्च न्यायलय द्वारा दिया गया वह निर्णय भी मील का पत्थर है| जिसे राजनीतिक दल इस सरकार के माध्यम से  अध्यादेश के द्वारा बदलना कहते थे| देश के राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर कुछ सवाल पूछे है| सवाल के  जवाब के पहले ही राहुल बाबा ने अध्यादेश को बकवास करार दे दिया | अब कई लोगों पर तलवार लटक गई है| 

सरकार ने अपनी लाज बचाने के लिए अध्यादेश वापिस लेने की बात कही है |कांग्रेस  इस विषय पर विभाजित है कुछ राहुल बाबा के साथ और कुछ अध्यादेश के साथ| राहुल बाबा की मंशा पर लोकसभा की सिलेक्ट कमेटी पानी फेर सकती है, क्योकि वह मौजूद हर राजनीतिक दल को अपने स्वनाम धन्य सांसदों की लाज रखनी है| अगर राहुल बाबा ने राजनीति से हट कर ‘राइट टू रिजेक्ट” का इस्तेमाल किया है तो उनके नम्बर पास होने लायक हो गये हैं |


  • लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
  • संपर्क  9425022703
  • rakeshdubeyrsa@gmail.com


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